विश्व प्रसिद्ध तिरूपति बालाजी मंदिर में प्रसाद विवाद को लेकर आंध्र प्रदेश से राजधानी दिल्ली तक बवाल मचा हुआ है. प्रसाद में उपयोग होने वाले घी की जांच रिपोर्ट में मछली के तेल और जानवरों की चर्बी मिलाने के इस्तेमाल की पुष्टि हुई है. जिसके बाद साधु संतों में भी रोष है. संतों ने मांग की है कि जल्द से जल्द तिरूपित मंदिर का ट्रस्ट बोर्ड को भंग कर देना चाहिए.
वहीं इस मामले में सियासी बयानबाजी भी चरम पर हैं. सीएम चंद्रबाबू नायडू समेत तमान एनडीए नेता इसे लेकर पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी पर हमलावर हैं. उधर, जगन मोहन और उनकी पार्टी YSR कांग्रेस ने इस विवाद पर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का रुख किया. YSR कांग्रेस ने हाई कोर्ट से एन. चंद्रबाबू नायडू और टीडीपी के आरोपों की जांच के लिए एक ज्यूडिशियल कमेटी गठित करने की मांग की. इस मामले में हाई कोर्ट 25 सितंबर को सुनवाई करेगा.
वहीं, अब आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम व जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कलयान की भी प्रतिक्रिया सामने आई है, उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ‘सनातन धर्म रक्षण बोर्ड’ के गठन करने की मांग उठाई है.
पवन कल्याण ने ये मांग सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से की है. डिप्टी सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि ‘पिछली सरकार के कार्यकाल दौरान, तिरुपति बालाजी प्रसाद में पशु मेद (मछली का तेल, सूअर की चर्बी और बीफ वसा) मिलाए जाने की बात के संज्ञान में आने से हम सभी अत्यंत विक्षुब्ध हैं. तत्कालीन वाईसीपी (YCP) सरकार द्वारा गठित टीटीडी (TTD) बोर्ड को कई सवालों के जवाब देने होंगे! इस सन्दर्भ में हमारी सरकार हरसंभव सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन, यह समूचा प्रकरण मंदिरों के अपमान, भूमि संबंधी मुद्दों और अन्य धार्मिक प्रथाओं से जुड़े कई मुद्दों पर चिंतनीय प्रकाश डालता है.
पिछली सरकार के कार्यकाल दौरान, तिरुपति बालाजी प्रसाद में पशु मेद (मछली का तेल, सूअर की चर्बी और बीफ़ वसा) मिलाए जाने की बात के संज्ञान में आने से हम सभी अत्यंत विक्षुब्ध हैं। तत्कालीन वाईसीपी (YCP) सरकार द्वारा गठित टीटीडी (TTD) बोर्ड को कई सवालों के जवाब देने होंगे! इस सन्दर्भ… https://t.co/SA4DCPZDHy
— Pawan Kalyan (@PawanKalyan) September 20, 2024
डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने आगे लिखा कि ‘अब समय आ गया है कि पूरे भारत में मंदिरों से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अविलंब ‘सनातन धर्म रक्षा बोर्ड’ का गठन किया जाए. सभी नीति निर्माताओं, धार्मिक प्रमुखों, न्यायपालिका, आम नागरिकों, मीडिया और अपने-अपने क्षेत्रों के अन्य सभी दिग्गजों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एक सार्थक बहस होनी चाहिए. उन्होंने आगे लिखा कि’ मेरा मानना है कि हम सभी को किसी भी रूप में ‘सनातन धर्म’ के अपमान को रोकने के लिए अविलंब एक साथ आना चाहिए’.
प्रसाद की जांच रिपोर्ट में क्या आया सामने?
मंदिर के प्रसाद में उपयोग होने वाले घी की जांच रिपोर्ट में ऐसी बातें सामने आई है जिसे जानकार आप हैरान हो जाएंगे. रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रसाद में मिलने वाले लड्डुओं में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया था. इसमें फिश ऑयल, एनिमल टैलो और लार्ड की मात्रा पाई गई है.
बता दें एनिमल टैलो का मतलब पशु में मौजूद फैट से होता है. इसमें लार्ड भी मिला हुआ था. लार्ड का मतलब जानवरों की चर्बी से होता है. इसी घी में फिश ऑयल की मात्रा भी पाई गई है. वहीं बीफ टेलो (गौमांस की चर्बी) का इस्तेमाल भी प्रसाद में होता था.
पूरा मामला जानें
दरअसल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बीते बुधवार को दावा किया था कि जगन मोहन सरकार के कार्यकाल में तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद में घी की जगह जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा था.उन्होंने कहा कि हमरी सरकार ने प्रसाद बनाने के लिए जिस कंपनी से घी लिया जा रहा था, उससे करार खत्म कर लिया है और कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर रहे हैं. मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है.
दरअसल जून 2024 में सरकार बदलने के बाद नई सरकार ने 9 जुलाई को तिरूपति मंदिर बोर्ड ने घी के सैंपल गुजरात स्थित पशुधन लैब (NDDB CALF Ltd.) भेजे और 16 जुलाई को लैब रिपोर्ट आई. रिपोर्ट में एक फर्म के घी में मिलावट पाई गई. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की फूड लैब काल्फ (CALF) ने बताया कि जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल से तैयार घी में प्रसादम के लड्डुओं बनाए जा रहे हैं.
पिछली सरकार पर ये हैं आरोप
कर्नाटक KMF पिछले 50 साल से रियायती दरों पर तिरूपति मंदिर ट्रस्ट को घी दे रहा था. हर 6 महीने में 1400 टन घी मंदिर में लगता है. लेकिन जुलाई 2023 में कंपनी ने कम रेट में सप्लाई देने से मना कर दिया, जिसके बाद तत्कालीन जगन मोहन सरकार ने 5 फर्म को सप्लाई का काम दिया था. इनमें से एक तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स भी है. जिसके प्रोडक्ट में इसी साल जुलाई में गड़बड़ी मिली थी. इसी साल जुलाई में सैंपल में गड़बड़ी पाए जाने के बाद नायडू सरकार अलर्ट हुई और 29 अगस्त को फिर KMF को सप्लाई का काम सौंप दिया.
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