केंद्र सरकार ने आईटी नियमों में साल 2023 में संसोधन किया था. इस संसोधन के जरिये सरकार के पास मीडिया प्लेटफार्म पर फर्जी और भ्रामक जानकारी की पहचान करने के लिए एक फैक्ट चैक यूनिट स्थापित करने का अधिकार था, लेकिन अब बॉम्बे हाईकोर्ट से उसे इस मामले में करारा झटका लगा है. दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईटी नियमों में साल 2023 के संसोधन को रद्द करते हुए ये कहा कि फैक्ट चैक यूनिट लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन करता है.
उल्लेखनीय है कि इस मामले में पहले दो जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया था, जिसके बाद ये केस तीसरे या टाई ब्रेकर जज को भेजा गया था. अब तीसरे जज की ओर से इस संसोधन को असंवैधानिक करार दे दिया गया था. जस्टिस अतुल चंदूरकर ने फैसले में कहा है कि मेरा मानना है कि ये संसोधन संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है.
इससे पहले जस्टिस गौतम पटेल और डॉ नीला गोखले की बेंच ने इस केस पर जनवरी 2024 में अलग- अलग फैसला सुनाया था. जस्टिस पटेल ने नियमों को खारिज कर दिया था, जबकि न्यायमूर्ति गोखले ने उन्हें बरकरार रखा था। जस्टिस पटेल ने कहा था कि नियम सेंसरशिप के बराबर हैं, लेकिन न्यायमूर्ति गोखले ने कहा था कि इनका फ्री स्पीच पर कोई प्रभाव नहीं है, जैसा कि तर्क दिया गया है.
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