दिल्ली नगर निगम की स्टैडिंग कमेटी का चुनाव आज दोपहर 1 बजे होगा. एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार ने उपराज्यपाल के निर्देश के बाद देर रात आदेश जारी किया है. इसके अलावा, उपराज्यपाल ने यह भी निर्देश दिया है कि जितेंद्र यादव, एडिशनल कमिश्नर इसके लिए रिटर्निंग अधिकारी के रूप में अध्यक्षता करेंगे. आदेश में लिखा है कि जनहित में और नगर निकाय की लोकतांत्रिक भावना को बनाए रखने के लिए, उपराज्यपाल ने निर्देश दिया है कि चुनाव आज दोपहर एक बजे कराए जाएं. इसके अलावा, उपराज्यपाल ने यह भी निर्देश दिया है कि पूरी चुनाव प्रक्रिया की विधिवत वीडियोग्राफी की जा सकती है. मतदान की गोपनीयता बनाए रखने के लिए मतदान हॉल के अंदर मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट ले जाने की अनुमति नहीं होगी.
MCD Commissioner Ashwani Kumar issues an order for conducting the Standing Committee member election on 27th Sept at 1 PM.
Order reads, “… Whereas, the Mayor replied that the election be held on 5th October, 2024 only and any election held before that date would be illegal and… pic.twitter.com/Gll99jqG0Q
— ANI (@ANI) September 26, 2024
दरअसल, एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव 26 सितंबर को होना था लेकिन चुनाव टल गया था. इस पूरे मामले में दिनभर नाटकीय घटनाक्रम रहा जिसमें मेयर शैली ओबेरॉय ने पांच अक्टूबर तक के लिए चुनाव स्थगित कर दिया था, जबकि बाद में उपराज्यपाल ने महापौर का फैसला पलट दिया था और शुक्रवार यानि आज 1 बजे चुनाव कराने का निर्देश दिया.
बता दें कि स्टैंडिंग कमेटी में कुल 18 मेंबर होते हैं, जोकि मिलकर चैयरमेन का चुनाव करते हैं. मौजूदा स्थिति में 17 सदस्यों का चुनाव हो चुका है, जिनमें से 9 बीजेपी के और 8 आप के हैं. ये 18वां सदस्य ही तय करेगा कि स्टैंडिंग कमेटी का चेयरमैन किस दल का होगा. इसलिए चुनाव में सियासत गरमा गई है.
दिल्ली में पावर पॉलिटिक्स
बता दें दिल्ली के पास ना तो पूर्ण रूप से राज्य है और ना ही पूर्ण रूप से केंद्र शासित प्रदेश है. दिल्ली के पास स्पेशल स्टेटस है. यानि दिल्ली में विभिन्न एजेंसियां को सामंजस्य के साथ काम करना पड़ता है. लेकिन दुर्भाग्य है कि पावर पॉलिटिक्स में ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है. दिल्ली का स्थानीय निकाय होने के बावजूद एमसीडी कमिश्नर की नियुक्ति करने का अधिकार केंद्र सरकार को है. और एलजी भी केंद्र का नुमाइंदे हैं. वहीं महापौर आम आदमी पार्टी की हैं. एमसीडी की पावर के लिए इन्ही दोनों पार्टियों के बीच सत्ता का संघर्ष चलता रहता है. आम आदमी पार्टी की मेयर अपने अधिकारों में कटौती बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं. उन्हें डर है कि अगर अधिकारियों ने एक जगह अपनी मनमानी चला ली तो फिर बार-बार ब्यूरोक्रेसी पॉलिटिकल विंग पर हावी होता रहेगा. यही कारण है कि छोटे से छोटे चुनाव में सियासत गरमा जाती है.
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