नई दिल्ली: मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने तमाम संभावनाओं और आशंकाओं को नकारते हुए इंडेक्स डेरिवेटिव्स के नियमों में कोई फेरबदल नहीं किया है. हालांकि सेबी ने किसी एक एक्सचेंज के एक इंडेक्स को फिलहाल वीकली कॉन्ट्रैक्ट देने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है. कहा जा रहा है कि अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो एक हफ्ते में दो एक्सपायरी की व्यवस्था के पहले चरण की शुरुआत हो जाएगी. इसके साथ ही सेबी की गवर्निंग बॉडी ने म्यूचुअल फंड्स और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज के बीच के अंतर को पाटने के लिए नए एसेट क्लास को शुरू करने की मंजूरी दे दी है.
उल्लेखनीय है कि 30 जुलाई को सेबी ने एक कंसल्टेशन पेपर जारी करके शेयर बाजार में स्थिरता बढ़ाने और छोटे निवेशकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इंडेक्स डेरिवेटिव्स के नियमों में कुछ फेरबदल करने का प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव में कॉन्ट्रैक्ट के साइज को कम से कम चार गुना बढ़ाने, ऑप्शंस प्रीमियम को तुरंत इकट्ठा करने और वीकली कांट्रैक्ट्स की संख्या घटाने की बात कही गई थी.
मौजूदा व्यवस्था के तहत इंडेक्स आधारित कांट्रैक्ट्स का प्रावधान है, जिनकी डेली एक्सपायरी होती है. इस व्यवस्था में छोटे और खुदरा निवेशको के लिए जोखिम काफी अधिक होता है। सेबी की हाल में ही आई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा भी किया गया था कि ऐसे सौदों में 93 प्रतिशत छोटे निवेशकों को नुकसान का सामना करना पड़ा है. इसी वजह से फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस से जुड़ी वर्किंग कमेटी ने इंडेक्स डेरिवेटिव्स के नियमों में बदलाव के कुछ सुझाव दिए थे. इन्हीं सुझावों के आधार पर सेबी ने 30 जुलाई को कंसल्टेशन पेपर में अपने प्रस्तावों को शामिल किया था, जिससे इस बात का अनुमान लगाया जा रहा था कि मार्केट रेगुलेटर वर्किंग कमेटी से जुड़ी सिफारिश के आधार पर नए फ्रेमवर्क को लागू करने की बात को लेकर गंभीर है.
सेबी की गवर्निंग बॉडी ने हालांकि एक बड़ा फैसला लेते हुए म्युचुअल फंड्स और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (पीएमएस) के अंतर को खत्म करने के लिए नए एसेट क्लास को शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है. सेबी की गर्वनिंग बॉडी ने हर इन्वेस्टर के हिसाब से 10 लाख रुपये के मिनिमम टिकट साइज के आधार पर नए एसेट क्लास को हरी झंडी दिखा दी है। इसके तहत एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) में निवेश स्ट्रेटजी के तहत नया प्रोडक्ट पेश किया जा सकेगा.
सेबी की ओर से उपलब्ध कराई जानकारी के मुताबिक नए प्रोडक्ट के तहत पेश किए गए ऑफर को इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी माना जाएगा, ताकि इसे पारंपरिक म्युचुअल फंड के तहत ऑफर की गई स्कीम से अलग रखा जा सके. नए प्रोडक्ट के लिए इन्वेस्टमेंट की मिनिमम लिमिट एसेट मैनेजमेंट कंपनी में सभी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी के तहत 10 लाख रुपये प्रति इन्वेस्टर होगी. इस नए प्रोडक्ट का मकसद नए एसेट क्लास के माध्यम से देश के इन्वेस्टमेंट सिनेरियो में बेहतर ऑप्शन को शामिल करना है.
इस साल जुलाई में सेबी द्वारा जारी किए गए कंसल्टेशन पेपर में नए एसेट क्लास को लॉन्च करने की बात को लेकर भी राय मांगी गई थी। ये एसेट क्लास पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) और म्युचुअल फंड के बीच का होगा, ताकि निवेशक अधिक जोखिम लेकर इसमें बड़ी रकम का निवेश कर सकें. इस नए एसेट क्लास का उद्देश्य निवेशकों को 10 से लेकर 50 लाख रुपये की सीमा में इन्वेस्टमेंट का ऑप्शन उपलब्ध कराना है. इसीलिए इसमें निवेश की मिनिमम लिमिट 10 लाख रुपये रखी गई है. ये एसेट क्लास तुलनात्मक तौर पर ऊंचे रिटर्न की पेशकश करेगा। हालांकि इसमें जोखिम भी तुलनात्मक तौर पर अधिक होगा.
हिन्दुस्थान समाचार
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