नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की नीतिगत दर तय करने वाली संस्था मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का पुनर्गठन कर दिया है. एमपीसी की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक सात से नौ अक्टूबर तक होगी. इस बार भी नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में बदलाव की उम्मीद नहीं है.
वित्त मंत्रालय की एक अधिसूचना के मुताबिक, आरबीआई की नीतिगत दर निर्धारण वाली एमपीसी में राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार को नया बाहरी सदस्य नियुक्त किया गया है. सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति समिति के पुनर्गठन को नोटिफाई किया है. इन नए सदस्यों की नियुक्ति चार साल के लिए की गई है.
आरबीआई के एमपीसी पुनर्गठन के तहत दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक प्रो. राम सिंह, अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य और नई दिल्ली स्थित औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक और मुख्य कार्यपालक डॉ. नागेश कुमार इसके बाह्य सदस्य बनाए गए हैं. नीतिगत दर तय करने वाली एमपीसी के प्रमुख रिजर्व बैंक के गवर्नर शकितकांत दास हैं.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति की पहली द्विमासिक समीक्षा बैठक सात से नौ अक्टूबर को होनी है. इस बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास नौ अक्टूबर को घोषणा करेंगे. एमपीसी का गठन 2016 में मौद्रिक नीति रूपरेखा समझौते को अंतिम रूप देने के बाद किया गया था. इसमें महंगाई के लक्ष्य का निर्धारण किया गया था. इसके तहत आरबीआई को मुद्रास्फीति को दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी दी गई है.
आर्थिक मामलों के जानकारों ने बताया कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आरबीआई की तीन दिवसीय द्विमासिक एमपीसी की समीक्षा बैठक 7-9 अक्टूबर तक चलेगी. इस बैठक में भी ब्याज दरों में बदलाव की संभावना नहीं है. इससे पिछली बैठक अगस्त में हुई थी, जिसमें एमपीसी ने लगातार 9वीं बार ब्याज दर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था. इस बार भी नीतिगत ब्याज दरों रेपो रेट में बदलाव की उम्मीद नहीं है.
कितने सदस्यों वाली होती है एमपीसी
आरबीआई अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक, मौद्रिक नीति समिति में छह सदस्य होते है. ये समिति नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव पर फैसला लेता है. समिति में तीन सदस्य आरबीआई के होते हैं जबकि तीन सदस्य केद्र सरकार नियुक्त करती है. छह सदस्यीय समति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करते हैं. इसके आधिकारिक सदस्यों में रिजर्व बैंक में मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर, मौद्रिक नीति विभाग के कार्यकारी निदेशक और एक अन्य अधिकारी इसके सदस्य होते हैं. इसकी बैठक हर दो महीने में होती है.
क्या होता है नीतिगत दर यानी रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक किसी भी तरह की कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसे उधार देता है. आरबीआई रेपो दर का उपयोग मौद्रिक प्राधिकरण मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए करते हैं.
आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में 0.25 फीसदी का इजाफा किया था, जो बढ़कर अभी 6.50 फीसदी पर है. रिजर्व बैंक ने कोरोना के दौरान 27 मार्च, 2020 से 9 अक्टूबर, 2020 के बीच दो बार रेपो रेट में 0.40 फीसदी की कटौती की थी. इसके बाद आरबीआई ने 5 बार नीतिगत ब्याज दरों में इजाफा किया. चार बार इसमें कोई बदलाव नहीं किया जबकि एक बार अगस्त 2022 में 0.50 फीसदी की कटौती की थी. कोविड-19 से पहले 6 फरवरी, 2020 को रेपो रेट 5.15 फीसदी पर था.
उल्लेखनीय है कि इस समय एमपीसी के बाह्य सदस्यों में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. आशिमा गोयल, नेशनल काउंसिल फॉर एप्लॉयड इकनॉमिक रिसर्च में वरिष्ठ सलाहकार शंशाक भिडे और भारतीय प्रबंध संस्थान-अहमदाबाद के प्रोफेसर जयंत आर वर्मा हैं. नए नियुक्त एमपीसी के बाहरी सदस्य इनकी जगह लेंगे.
हिन्दुस्थान समाचार
ये भी पढ़ें- नेपाल: बाढ़ और भूस्खलन से जनजीवन अस्त-व्यस्त, 13 नेशनल हाईवे पूरी तरह से बंद
ये भी पढ़ें- Bihar: बाढ़ राहत सामग्री लेकर जा रहा सेना का हेलीकॉप्टर मुजफ्फरपुर में दुर्घटनाग्रस्त
कमेंट