नई दिल्ली: जेल में जाति पूंछकर काम देने और जातिगत भेदभाव वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. आज गुरुवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि जेल की मैनुअल निचली जाति के लोगों को सफाई और झाड़ू जैसे कामों लगाना और ऊंची जाति को शीर्ष काम देना लोगों के मन में भेदभाव उतपन्न करता है.
Supreme Court, while delivering its verdict on a PIL seeking prevention of caste-based discrimination and segregation at prisons, says that manual directly discriminates by assigning cleaning and sweeping tasks to lower caste and assigning cooking to higher caste and it is in… pic.twitter.com/dRGUsEtXIE
— ANI (@ANI) October 3, 2024
इस मामले पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायलय की तरफ से कहा गया कि यह संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है. जेल में इस तरह की प्रथाओं और काम बांटने का तरीका अनुचित है और श्रम अनुदान में इस तरह के जाति आधारित विभाजन की अनुमति बिल्कुल नहीं दी जा सकती है. कोर्ट की तरफ से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जेल मेन्युअल को बदलने का निर्देश दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि है कि कैदियों से जुड़ी जाति की डिटेल्स के कॉलम को रखना पूरी तरह से असंवैधानिक है. विचाराधीन और सजायाफ्ता कैदियों के डिटेल्स में इस तरह के कॉलम्स को हटा देना चाहिए. बता दें कि कोर्ट की तरफ से जेलों में हो रहे जातिगत भेदभाव के मामलों को खुद संज्ञान में लिया गया और राज्य सरकारों में इस संबंध में अनुपालन की रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है.
यह भी पढ़ें- दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी ड्रग खेप बरामद, 2000 करोड़ की 500 किलोग्राम कोकीन के साथ चार गिरफ्तार
कमेंट