बक्फ बोर्ड की मनमानी के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं, जिस पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र की तरफ से वक्फ संशोधन विधेयक भी लाया गया है. इसी से जुड़ा मामला केरल की कमर्शियल केपिटल कोच्चि से सामने आया है जहां के चेराई गांव के 600 से ज्यादा परिवारों का भविष्य गंभीर संकट में फंस गया है. इन परिवारों का कहना है कि वक्फ बोर्ड उनकी जमीनों पर अपना दावा ठोक रहा है जिसके चलते उन पर जीते जी आफत आ पड़ी है.
दरअसल, चेराई गांव मछुआरों का एक खूबसूरत गांव है, यह एक तटीय गांव होने की वजह से लंबे समय से पर्यटकों को लुभाता रहा है. साल 2022 से कानूनो पचड़ों में फंसकर इस गांव के ग्रामीण अपनी जमीन नहीं खरीद पा रहे है साथ ही संपत्तियों से जुड़ा कोई काम नहीं कर पा रहे. इससे जहां एक तरफ लोगों के दिलों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है वहीं न्याय की देरी ने भी उन्हें निराश किया है. सिरो मालाबार चर्च और कैथोलिक बिशप काउंसिल की तरफ से इस मामले पर चिंता व्यक्त की गई है.
बता दें कि स्थानीय लोगों का इस मामले पर कहाना है कि वो उनके पूर्वजों की जमीन है, साल 2022 तक सब ठीक था मगर इसके बाद उन्हें बताया गया कि जिस जमीन पर वो सालों से निवास कर रहे हैं वह उनकी नही है. अब थक हारकर ग्रामीणों ने जेपीसी को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द संशोधन करके एक ठोस समाधान की मांग उठाई है. उनकी तरफ से उम्मीद जताई गई है कि इस संकट से उनका हल मिलने में मदद मिलेगी. वक्फ संशोधन विधेयक से जुड़ी सिफारिशों को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से भी जेपीसी को पत्र लिखा गया है.
गांव के लोगों का कहना है कि साल 1902 में यह जमीन सिद्दीकी सैत ने खरीदी थी जिसे साल 1950 में फारूख कॉलेज को दान दे दिया गया था. वहीं मछुआरों और कॉलेज के बीच चल रहा विवाद 1975 तक आते-आते सुलझ गया था. उस वक्त हाई कोर्ट ने कॉलेज के पक्ष में फैसला दिया था जिसके बाद मछुआरों ने कॉलेज से पैसे देकर लैंड खरीदना शुरू किया. इसके बाद अचानक यह दावा किया गया कि यह जमीन किसी की नहीं बल्कि वक्फ बोर्ड की है.
इस वजह से गांव के मछुआरे काफी परेशान हो गए है, उन्हें अपनी राजस्व के सभी अधिकारों से वंचित कर दिया गया है. अभी वो अपनी जमीनों पर किराएदारों की तरह रहने पर मजबूर हो गए हैं और इससे जुड़ी खरीद फरोख्त भी नहीं कर सकते है.
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