केंद्र सरकार ने अगले 7 वर्षों में तिलहन उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 2024-25 से 2030-31 के लिए 10,103 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-तिलहन (एनएमईओ-तिलहन) को मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को उक्त मिशन को मंजूरी प्रदान की.
मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इसका लक्ष्य तिलहन की खेती को अतिरिक्त 40 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना है. साथ ही प्राथमिक तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन (2022-23) से बढ़ाकर 2030-31 तक 69.7 मिलियन टन करना है. नव अनुमोदित एनएमईओ-तिलहन, रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और तिल जैसी प्रमुख प्राथमिक तिलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा. साथ ही कपास के बीज, चावल की भूसी और वृक्ष जनित तेलों जैसे द्वितीयक स्रोतों से संग्रहण और निष्कर्षण दक्षता को बढ़ाएगा.
अश्विनी वैष्णव ने बताया, “बीज उत्पादन के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में 65 नए बीज केंद्र और 50 बीज भंडारण इकाइयां स्थापित की जाएंगी. गुणवत्तापूर्ण बीजों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, मिशन ‘सी ऑथेंटिकेशन ट्रेकायबिलिटी एंड हॉलिस्टिक इन्वेंटरी (बीज प्रमाणीकरण, पता लगाने योग्यता और समग्र सूची) (साथी)’ पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन 5-वर्षीय रोलिंग बीज योजना शुरू होगी. साथी’ पोर्टल से राज्य गुणवत्तापूर्ण बीजों की समय पर उपलब्धता के लिए हितधारकों के साथ समन्वय कर सकेंगे. ”
केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना को भी मंजूरी दी है, जिसके तहत कुल 1,01,321 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं. इस योजना का उद्देशय कृषि क्षेत्र में सुधार लाना और किसानों की आय को बढ़ाना है. योजना में विशेष ध्यान वैल्यू चेन को डेवलप करने और डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग करने पर दिया जाएगा. इसके साथ ही कृषि इंफ़्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में भी काम होगा.
वहीं रेलवे कर्मचारियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 11,72,240 रेलवे कर्मचारियों को 2028.57 करोड़ रुपये के 78 दिन के उत्पादकता से जुड़े बोनस (पीएलबी) के भुगतान को मंजूरी दी है. यह राशि रेलवे कर्मचारियों की विभिन्न श्रेणियों जैसे ट्रैक मेंटेनर, लोको पायलट, ट्रेन मैनेजर (गार्ड), स्टेशन मास्टर, पर्यवेक्षक, तकनीशियन, तकनीशियन हेल्पर, पॉइंट्समैन, मंत्रालयिक कर्मचारी और अन्य ग्रुप एक्ससी कर्मचारियों को भुगतान की जाएगी.
पीएलबी का भुगतान रेलवे के प्रदर्शन में सुधार की दिशा में काम करने के लिए रेलवे कर्मचारियों को प्रेरित करने के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में कार्य करता है. प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा/दशहरा की छुट्टियों से पहले पात्र रेल कर्मचारियों को पीएलबी का भुगतान किया जाता है। इस वर्ष भी लगभग 11.72 लाख गैर-राजपत्रित रेल कर्मचारियों को 78 दिनों के वेतन के बराबर पीएलबी राशि का भुगतान किया जा रहा है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला (बंगाली) भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दे दी है. शास्त्रीय भाषा के रूप में इन भाषाओं को शामिल करने से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा होंगे. इसके अलावा, इन भाषाओं के प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण, दस्तावेज़ीकरण और डिजिटलीकरण से संग्रह, अनुवाद, प्रकाशन और डिजिटल मीडिया में रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को “शास्त्रीय भाषाओं” के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया और तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया था. अब से पहले तक 6 भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था. तामिल को 10 दिसंबर 2004, संस्कृत को 25 नवंबर 2005, तेलुगू, कन्नड़ को 31 अक्टूबर 2008, मलयालम को 08 अगस्त 2013 और उड़िया को 3 जनवरी 2014 को शास्त्री वर्ज का दर्जा दिया गया था.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रमुख बंदरगाहों और गोदी श्रम बोर्ड के कर्मचारियों के लिए मौजूदा उत्पादकता से जुड़ी पुरस्कार (पीएलआर) योजना को 2020-21 से 2025-26 तक संशोधित करने को भी मंजूरी दे दी है. 2020-21 से 2025-26 तक लागू संशोधित पीएलआर योजना से प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरणों के लगभग 20,704 कर्मचारियों और डॉक लेबर बोर्ड के कर्मचारियों/श्रमिकों को लाभ मिलेगा. पूरी अवधि के लिए कुल वित्तीय निहितार्थ लगभग 200 करोड़ रुपये होगा.
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चेन्नई मेट्रो रेल परियोजना चरण-II के लिए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें तीन गलियारे शामिल हैं। स्वीकृत लाइनों की कुल लंबाई 118.9 किलोमीटर होगी और इसमें 128 स्टेशन होंगे. परियोजना पूर्ण होने की लागत 63,246 करोड़ रुपये है और इसे 2027 तक पूरा करने की योजना है. एक बार चरण- II पूरी तरह से चालू हो जाने पर, चेन्नई शहर में कुल 173 किलोमीटर का मेट्रो रेल नेटवर्क होगा.
चरण II परियोजना में गलियारा-(i): माधवरम से SIPCOT तक 45.8 किलोमीटर की लंबाई के साथ 50 स्टेशन। गलियारा-(ii): लाइटहाउस से पूनमल्ले बाईपास तक 26.1 किलोमीटर की लंबाई के साथ 30 स्टेशन, और गलियारा-(iii): माधवरम से शोलिंगनल्लूर तक 47 किलोमीटर की लंबाई के साथ 48 स्टेशन तीन गलियारे शामिल हैं. जब चरण-II पूरी तरह चालू हो जाएगा, तो चेन्नई शहर में कुल 173 किलोमीटर का मेट्रो रेल नेटवर्क होगा
हिंदुस्तान समाचार
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