उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुरादाबाद के एक रेप मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि सहमति से शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं है. अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि 12 साल तक बनाए गए दोनों पक्षों की सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध को इस आधार पर रेप नहीं कह सकते हैं कि युवक और युवती के बीच शादी नहीं हुई है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देत हुए उसके खिलाफ चल रही अपराधिक कार्रवाई को भी रद्द कर दिया.
कोर्ट ने कहा कि प्रेम, वासना और मोह के कारण शारीरिक संबंध बनाया गया. करीब 12-13 साल तक दोनों रिलेशनशिप में रहे. महिला ने पति के होने के बावजूद ऐसे रिश्ते में एंट्री की जो व्याभिचार कहलाता है. हाई कोर्ट के जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की सिंगल बेंच ने कहा कि महिला का ये बहाना बेकार है कि उसने पति की मौत के बाद शादी करने का वादा किया था. बता दें याची श्रेय गुप्ता पीड़िता के पति के कारोबार में नौकर था.
दरअसल पूरा मामला मुरादाबाद का है. जहां एक महिला ने शख्स पर यह आरोप लगाया कि जब उसका पति बीमार था तब श्रेय गुप्ता नाम के शख्स ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और पति की मौत के बाद शादी करने का वादा किया. महिला ने बताया कि उसके पति की मौत के बाद भी उसका श्रेय गुप्ता से रिश्ता चलता रहा लेकिन साल 2017 में गुप्ता ने दूसरी महिला से सगाई कर ली. इसी वादाखिलाफी को आधार बनाकर महिला ने इस शख्स पर बलात्कार समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कराया है. पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी. इसके बाद पुरुष ने हाईकोर्ट में अपील की थी, याचिका धारा 482 सीआरपीसी के तहत दायर की गई थी. जिसमें हाईकोर्ट ने उसे राहत दे दी है.
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