इंडिया आउट का नारे देने वाले वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत पहुंचे हुए हैं. वो रविवार को अपनी आधिकारिक यात्रा पर भारत आए है. मोहम्मद मुइज्जू 10 अक्टूबर तक भारत की यात्रा पर हैं. मालदीव के राष्ट्रपति की ये पहली द्विपक्षीय भारत यात्रा है. इससे पहले इसी साल जुलाई में भी वो भारत आए थे. चार महीने में ये मालदीव के राष्ट्रपति का दूसरा भारत दौरान है. ऐसे में ये सवाल उठ रहे हैं कि चीन के दोस्त मोहम्मद मुइज्जू बार-बार भारत क्यों आ रहे हैं.
इसका जवाब है मालदीव के वो सात सेक्टर्स जिसमें उसको भारत का सहयोग चाहिए. दरअसल, मालदीव की रीढ़ की हड्डी माना जाता है उसका टूरिज्म सेक्टर, लेकिन भारत विरोधी बयानों के चलते मालदीव के इस सेक्टर का बहुत नुकसान हुआ. मालदीव कर्ज के बोझ तले तो दबा ही हुआ है. साथ ही उसका विदेशी मुद्रा भंडार भी करीब 40 करोड़ डॉलर का ही रह गया है. इसके चलते मालदीव पर दबाव बहुत है.
किन-किन क्षेत्रों में भारत पर निर्भर है मालदीव?
टूरिज्म सेक्टर
मालदीव 1965 में आजाद हुआ. आजादी के बाद भारत उन देशों में था, जिसने मालदीव के साथ राजनयिक रिश्ते स्थापित किए. मालदीव में हर साल भारतीय सैलानियों की बड़ी संख्या घूमने जाती है. ये सभी को पता है कि मालदीव का टूरिज्म सेक्टर भारतीय सैलानियों पर टिका है, लेकिन इसके साथ-साथ अन्य सेक्टर भी हैं जहां भारत मालदीव का सहयोग करता रहा है.
डिफेंस सेक्टर
डिफेंस सेक्टर और सिक्योरिटी सेक्टर में भारत मालदीव का साल 1988 से ही सहयोगी है. अप्रैल 2016 में दोनों देशों के बीच एक एग्रीमेंट भी किया गया, जिसने इसे और बढ़ावा दिया. इतना ही नहीं विदेश मंत्रायल के अनुसार 70 प्रतिशत सामान जो मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स की डिफेंस ट्रेनिंग जरूरतों का है वो उसे भारत से मिलता है. बीते एक दशक में मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स के 1500 से अधिक सैनिक भारत द्वारा प्रशिक्षित किए गए हैं.
इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट
मालदीव में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में भी भारत की अहम भूमिका रही है. भारत ने मालदीव में कई बड़े हवाईअड्डों को तैयार करने में भूमिका निभाई है. इसका सबसे उदाहरण आपको मालदीव के ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के रूप में देखने को मिल जाएगा. इसके तहत मालदीव की राजधानी माले को उससे जुड़े द्वीपों विलिंगली, गुलीफाल्हू और तिलाफुंशी 6.74 किलोमीटर लंबा ब्रिज के माध्यम से जुडेंगे. भारत की ओर से इस प्रोजेक्ट के लिए 50 करोड़ डॉलर भी दिए गए हैं.
हेल्थकेयर एवं शिक्षा
मालदीव में भारत ने इंदीरा गांधी मेमोरियल अस्पताल को विकसित करने के लिए 52 करोड़ रुपये दिए. इसके अलावा एक अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल भी तैयार करने में भी इंडिया की भूमीका है. इसके अलावा शिक्षा क्षेत्र में भारत ने मालदीव में 1996 में टेक्निकल एजुकेशन इंस्टीट्यूट को खड़ा करने में मदद की. भारत ने मालदीव के शिक्षकों और युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए एक विशेष प्रोग्राम भी शुरू किया है. भारत की मदद से मालदीव में 53 लाख डॉलर का वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोजेक्ट शुरू हुआ है.
इकॉनमी और ट्रेड
जब से पीएम मोदी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पदभार संभालने के बाद से भारत और मालदीव के बीच ट्रेड में चार गुना बढ़ोतरी हुई है. साल 2022 में दोनों देशों के बीच व्यापार 50 करोड़ डॉलर का था जबकि इससे पहले 2014 में यह 17 करोड़ डॉलर ही था.
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