इंइिया आउट का नारा देने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चार दिन के भारत दौरे पर हैं. उनके इस भारत दौरे की खूब हो रही है. क्योंकि वो भारत विरोधी रूख के साथ वो भारत आए थे. लेकिन अब उनके तेवर ढीले पड़ रहे हैं. भारत और मालदीव के बीच कई समझौतों पर साइन किए गए. साथ ही तय हुआ कि भारत और मालदीव मुक्त व्यापार समझौते पर बात स्टार्ट करेंगे.
सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच द्विपक्षीय बातचीत हुई. जिसके बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया. इसमें कहा गया कि भारत-मालदीव के संबंध सदियों पुराने और भारत मालदीव का सबसे करीबी पड़ोसी और अच्छा दोस्त है. पीएम ने बताया कि 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा विनिमय डील पर साइन किए गए हैं. भारत के सहयोग से बनाए गए 700 से अधिक सोशल हाउसिंग यूनिट्स भी मालदीव को हैंडओवर किए गए.
मालदीव हिंद महासागर में बसा है. ये देश भारत के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है. दरअसल, मालदीव भारत के लिए इसलिए अहम है क्योंकि चीन भारत के पड़ोसी देशों पर अपना प्रभाव बढ़ाता है. मुइज्जू से पहले जो मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन थे उनको भारत का समर्थक माना जाता है. लेकिन मुइज्जू का झुकाव चीन की ओर माना जाता है.
मुइज्जू के सत्ता में आने से भारत चिंता में है क्योंकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है उसको संतुलित रखने के लिए भारत को मालदीव के साथ होना जरूरी है.
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