रसायन विज्ञान यानि केमिस्ट्री के नोबेल पुरस्कार की घोषणा हो गई है. इस साल तीन वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार दिया जाएगा. डेविड बेकर, डेमिस हसाबिस और जॉन एम. जम्पर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इसमें दो वैज्ञानिक डडेविड बेकर, जॉन जम्पर अमेरिका से हैं. वहीं डेमिस हसाबिस ब्रिटिश वैज्ञानिक हैं. बेकर को ‘कम्प्यूटेशनल प्रोटीन डिजाइन के लिए’ के लिए पुरस्कार मिला है. तो वहीं, डेमिस हसाबिस और जॉन जम्पर को ‘प्रोटीन स्ट्रंक्चर की भविष्यवाणी’ के लिए चुना गया है. इन तीनों ने मिलकर 50 सालों से चली आ रही वैज्ञानिक पहेली को सुलझाया है.
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The Royal Swedish Academy of Sciences has decided to award the 2024 #NobelPrize in Chemistry with one half to David Baker “for computational protein design” and the other half jointly to Demis Hassabis and John M. Jumper “for protein structure prediction.” pic.twitter.com/gYrdFFcD4T— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 9, 2024
वैज्ञानिक डेविड बेकर ने जो प्रोटनी डिजाइन तकनीक के माध्यम से नए प्रकार के प्रोटीन की खोज की है.बता दें प्रोटीन डिजाइन एक तकनीक है जिसमें प्रोटीन की संरचना में बदलाव कर नए गुण वाले प्रोटीन तैयार किए जाते हैं. इससे दवा और वैक्सीन बनाने में मदद मिलती है. वहीं डेमिस और जॉन जम्पर ने एक ऐसा AI मॉडल बनाया, जिसने कॉम्प्लेक्स प्रोटीन के स्ट्रक्चर को समझने में मदद की.
गौरतलब है कि प्रोटीन मनुष्य के शरीर में एक अमेजिंग केमिकल टूल की तरह काम करता है. यह आपके शरीर में होने वाले सभी रिएक्शन और इमोशन को कंट्रोल करता है. यानि कि आपको कब गुस्सा आएगा. कब प्यार आएगा. कब आप काम के लिए फोकस होंगे. कब आप बच्चों का प्रजनन करेंगे. ये सारा काम प्रोटीन करता है. प्रोटीन करीब 20 अलग-अलग अमीनो ऐसिड से बना होता है. साल 2003 में डेविड बेकर ने इन अमीनो एसिड का इस्तेमाल कर एक नए तरह का प्रोटीन बनाया. इसका इस्तेमाल कई वैक्सीन और दवाइयों में किया जाता है.
वहीं साल 2020 में डेमिस हसाबिस और जॉन जम्पर ने एक AI मॉडल अल्फाफोल्ड 2 बनाया. इसकी मदद से वैज्ञानिक सभी 20 करोड़ प्रोटीन के स्ट्रक्चर को वर्चुअली समझ पाए. आज अल्फाफोल्ड मॉडल का इस्तेमाल 190 देशों के करीब 20 लाख लोग कर रहे हैं.
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