बाल विवाह को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने गुरुवार को एक बड़ा खुलासा किया. एनसीपीसीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश में 11.4 लाख से अधिक बच्चों पर बाल विवाह का खतरा है. एनसीपीसीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस मामले में उसने कई कदम उठाए, जिसमें इन बच्चों की मदद के लिए परिवारों से बात, बच्चों को स्कूल लौटाने में मदद और पुलिस के साथ मिलकर उनकी सुरक्षा करना शामिल है.
एक व्यापक रिपोर्ट में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बाल विवाह निषेध अधिकारियों (सीएमपीओ), जिला अधिकारियों और अन्य के सहयोग से बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत किए गए प्रयासों को रेखांकित किया. आयोग ने कहा कि जागरूकता अभियानों के माध्यम से 1.2 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंचा गया, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी बनकर उभरे.
उत्तर प्रदेश में 500,000 से अधिक बच्चों ने बाल विवाह का पुरजोर विरोध किया. इसके बाद मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्य रहे. कर्नाटक और असम जैसे राज्यों में जागरूकता बढ़ाने के लिए धार्मिक नेताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने स्थानीय लोगों के साथ 40,000 से अधिक बैठकें कीं. बता दें कि साल 1993 में ऐसी लड़कियां जिनका बाल विवाह हुआ उनकी संख्या 49 प्रतिशत थी.
साल 2021 में ये घटकर 22 प्रतिशत हो गई. राष्ट्रीय स्तर पर लड़कों का बाल विवाह भी काफी कमी आई है. साल 2006 में सात फीसदी बालकों की शादियां हो रही थीं, जो 2021 में घटकर दो फीसदी रह गई है.
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