नई दिल्ली: केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 2023 बैच (76 आरआर) के प्रोबेशनर्स से संवाद कार्यक्रम में भाग लिया. इस दौरान गृहमंत्री शाह ने कहा कि सभी युवा आईपीएस अधिकारियों को देश विरोधी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए रुथलेस अप्रोच के साथ काम करना होगा.
Interacted with Indian Police Service Officer Trainees of the 76 RR batch.
The young IPS officers should imbibe the principle of our democracy that securing the rights of the citizens is the primary aspect of national security. In order to ensure that, they must always remain… pic.twitter.com/u7TvTHYzL9
— Amit Shah (@AmitShah) October 15, 2024
उन्होंने कहा कि कोई ऐसा काम नहीं है जिसमें सुधार नहीं हो सकता और कोई ऐसा काम नहीं है जो महत्वपूर्ण नहीं है, अगर वे इसे गांठ बांध लेंगे तो जीवन में बहुत सारी निराशा से दूर हो जाएंगे. शाह ने कहा कि गरीबों, बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने से बड़ा कोई काम नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि युवा पुलिस अधिकारी जिस जिले के एसपी हो, वह जिला वर्षों तक उनके अच्छे कामों को याद रखे, वही सबसे बड़ा मैडल होगा. पुलिस का काम करते वक्त हमारे जहन में हमेशा राष्ट्र की सुरक्षा होनी चाहिए और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हमारे चक्षु हमेशा खुले होने चाहिए.
शाह ने कहा कि प्रशिक्षु अधिकारियों को चिंतन इसलिए करना चाहिए कि उनके तथा उनके बाद आने वाले बैचों पर पूरा दारोमदार है कि हमारा देश एक स्केल बदल कर आने वाली पीढ़ी के लिए पुलिसिंग में प्रवेश करेगा या नहीं. अमित शाह ने कहा कि देश का गृह मंत्री होने के नाते वे निश्चित तौर पर यह कह सकते हैं कि अब किसी में हमारी सीमाओं और हमारी सेना का अपमान करने की हिम्मत नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले कश्मीर, नार्थ ईस्ट और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र तीन नासूर थे, लेकिन अब हमें इन तीनों जगहों पर हिंसा में 70 प्रतिशत तक की कमी लाने में सफलता प्राप्त हुई है. उन्होंने कहा कि आज इन तीनों जगहों पर भारतीय एजेंसियों का संपूर्ण वर्चस्व है.
शाह ने कहा कि अब समय आ गया है कि हमारे नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की सुरक्षा के लिए पुलिस तंत्र आगे आए. साथ ही देश की सीमाओं के अंदर हो रहे क्राइम को मिनिमाइज करने के लिए पुलिस तंत्र मुस्तैदी बरते और हम अपने नागरिकों को कम से कम समय में न्याय दे पाएं.अमित शाह ने कहा किआज सी सी टी एन एस के माध्यम से देश के 99 प्रतिशत थाने ऑनलाइन हो चुके हैं, ऑनलाइन डाटा जनरेट हो चुका है और तीन नए कानूनों से अनेक प्रावधानों में आमूलचूल बदलाव किया गया है. नए कानूनों में समय पर न्याय, दोष सिद्धि का प्रमाण बढ़ाने और टेक्नोलॉजी के अधिक से अधिक उपयोग पर जोर दिया गया है. वैज्ञानिक साक्ष्य अनिवार्य करने के कारण वैज्ञानिक पहले प्रॉसीक्यूशन को अनेक प्रकार के साक्षी खड़े करने पड़ते थे अब इसकी जरूरत नहीं है और अब साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर दोष सिद्ध कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि नए कानूनों में न्यायिक प्रक्रिया को समयबद्ध किया गया है. 5 साल में पूरे देश के हर थाने में टेक्नोलॉजी के इंस्टॉलेशन, सॉफ्टवेयर के निर्माण और ट्रेनिंग सहित नए कानूनों को पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा. उसके बाद एफ आई आर रजिस्टर होने के बाद न्याय की प्रक्रिया 3 साल के अन्दर समाप्त हो जाएगी। शाह ने कहा कि नए कानूनों में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी को समाहित किया गया है और आने वाले 100 साल में टेक्नोलॉजी में होने वाले परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए ये क़ानून बनाए गए हैं.
अमित शाह ने कहा कि तीन नए क़ानून में हमने नागरिकों के अधिकारों को भी सुरक्षित किया है। पुलिस कस्टडी में कितने लोग हैं, इसकी ऑनलाइन घोषणा करनी पड़ेगी. 90 दिन के अंदर चार्जशीट करनी पड़ेगी और सर्च एंड सीजर की वीडियोग्राफी करानी पड़ेगी। नफीस पर फिंगरप्रिंट के डाटा के साथ ही टेररिज्म और नारकोटिक्स का डाटा अलग से जनरेट किया है. सारे सीसीटीएनएस के डाटा को भी एक अलग तरह से एनसीआरबी मैनेज कर रही है. ढेर सारे डेटा से राष्ट्रीय स्तर पर डाटा बैंक बनाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि अब गृह मंत्रालय की टीम आगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर कर सॉफ्टवेयर का निर्माण कर इसके एनालिसिस से कई सारी चीजों को बाहर निकाल कर आपका काम सरल करने का भी काम कर रही है.
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा का मतलब सिर्फ सीमा की सुरक्षा नहीं होता. राष्ट्र भूमि से और कानूनी तरीके से बनता है, परंतु राष्ट्र व्यक्तियों और नागरिकों से बनता है। नागरिक की सुरक्षा ही राष्ट्र की सुरक्षा का मूल बिंदु है. उन्होंने कहा कि जब वे सुरक्षा की बात करते हैं तो यह व्यक्ति की प्रॉपर्टी या उसके शरीर की सुरक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि हमारे संविधान ने उसे जो उसको अधिकार दिए हैं उसकी सुरक्षा भी इसमें निहित हो जाती है. गरीब से गरीब व्यक्ति को इस देश के प्रधानमंत्री जितने अधिकार दिए गए हैं, इसकी सुरक्षा की ढेर सारी जिम्मेदारी पुलिस अधिकारियों पर है. शाह ने कहा कि 75 साल के बाद अब वह समय आ गया है कि हम अपने मूल काम पर अब ध्यान केंद्रित करें. अब नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने और उन पर अत्याचारों की रोकथाम के लिए प्रयास करने का समय आ गया है.
हिन्दुस्थान समाचार
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