भारतीय निर्वाचन आयोग ने आज महाराष्ट्र और झारखंड के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. महाराष्ट्र में 20 नवंबर को एक ही चरण वोटिंग होगी. वहीं झारखंड में दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे. झारखंड में 13 नवंबर और 20 नवंबर को वोटिंग होगी. वहीं नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि झारखंड में कुल मतदाताओं की संख्या 2.6 करोड़ है, जिसमें से 1.29 करोड़ महिला और 1.31 करोड़ पुरुष मतदाता हैं. पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं की संख्या 11.84 लाख है. झारखंड में 29,562 पोलिंग स्टेशन होंगे.
साथ ही उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कुल मतदाताओं की संख्या 9.63 करोड़ है, जिनमें से 4.97 करोड़ पुरुष और 4.66 करोड़ महिला मतदाता हैं. पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं की संख्या 20.93 लाख है. महाराष्ट्र में 1,00,186 मतदान केंद्र हैं, इस बार भी हम PWD और महिलाओं द्वारा संचालित बूथ बनाएंगे.
बता दे कि महाराष्ट्र की 288 विधानसभा और झारखंड की 81 सीटों पर चुनाव होना है. बता दें महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर 2024 को, वहीं झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को खत्म हो रहा है.
महाराष्ट्र में विधानसभा सीटों की संख्या 288 है. यहां 2019 में बीजेपी-शिवसेना के एनडीए गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था. लेकिन गठबंधन में आंतरिक कलह के कारण शिवसेना ने एनडीए का दामन छोड़ दिया और शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई. उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन गए.
साल 2022 में महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट गहराया और शिवसेना के ही नेता एकनाथ शिंदे ने पार्टी से बगावत कर 40 विधायकों के समर्थन से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और इस बार बीजेपी ने शिंदे को मुख्यमंत्री भी बना दिया. देवेंद्र फडणनवीस खुद डिप्टी सीएम बन गए. 2023 के राजनीतिक संकट के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अजीत पवार गुट भी सरकार में शामिल हो गया. अजीत भी माहयुती सरकार में डिप्टी सीएम है.राजनीतिक संकट की वजह से महाराष्ट्र की दो दिग्गज पार्टियां में फूट पड़ी. जहां शिवसेना दो हिस्सों में बंट गई तो वहीं एनसीपी भी चाचा- भतीजे में डिवाइड हो गई.
झारखंड की बात करें तो झारखंड में महागठबंधन यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाली सरकार है. इसमें कांग्रेस, राजद और वाम दल शामिल हैं. और हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री हैं. जनवरी में भ्रष्टाचार के मामले में CM पद से इस्तीफा देकर हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा. हालांकि, जमानत मिलने के बाद वे बाहर आए और चंपई सोरेन से 156 दिन में CM का पद वापस ले लिया. इसके बाद नाराज चल रहे चंपई सोरेन ने पार्टी को अलविदा कह दिया और भाजपा में शामिल हो गए. झारखंड आंदोलन में शिबू सोरेन के साथी रहे चंपई को कोल्हान टाइगर भी कहा जाता है.
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