कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक मस्जिद के अंदर “जय श्री राम” के नारे लगाने के आरोपी दो व्यक्तियों के खिलाफ एक आपराधिक मामले को खारिज कर दिया. इसमें कहा गया है कि इस तरह के कार्यों से धार्मिक भावनाओं को नुकसान नहीं पहुंचता है. मंगलवार को, न्यायमूर्ति एम नागाप्रसन्ना ने एकल-खंड पीठ ने यह सवाल करते हुए कि नारे किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को कैसे ठेस पहुंचा सकते हैं मामले को खारिज दिया.
आरोपियों पर शुरू में विभिन्न भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे, जिनमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, आपराधिक अतिक्रमण, सार्वजनिक शरारत के लिए उकसाने वाले बयान और आपराधिक धमकी से संबंधित आरोप शामिल थे. हाईकोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया कि इलाके में हिंदू और मुस्लिम सौहार्दपूर्वक रह रहे हैं. इसलिए पीठ ने कहा कि आगे की कार्यवाही की अनुमति देना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए इस बात पर जोर दिया कि हर कृत्य आईपीसी की धारा 295ए के तहत अपराध नहीं है. बता दें कि, आरोपियों पर आरोप था कि उन्होंने 24 सितंबर, 2023 को रात करीब 10:50 बजे मस्जिद में प्रवेश किया और “जय श्री राम” के नारे लगाए, साथ ही धमकी भी दी. शुरुआत में आरोपियों को अज्ञात व्यक्ति कहा गया, लेकिन बाद में उन्हें हिरासत में ले लिया गया. इन आरोपों के जवाब में आरोपियों ने हाईकोर्ट का रूख किया. इसके बाद हाईकोर्ट ने ये मामला खारिज कर दिया.
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