देवभूमि उत्तराखंड में अब रेहड़ी-ठेले और फेरी वालों को धामी सरकार ने बड़ी राहत दी है. राज्य में अब फूड लाइसेंस के लिए शुल्क नहीं लिया जाएगा यानि कि स्ट्रीट वेंडर्स का लाइसेंस फ्री बनाया जाएगा. यह लाइसेंस 5 साल के लिए वेलिड होगा. इसके बाद इसे रिन्यू कराना पड़ेगा. रिन्यू कराने के लिए भी कोई शुल्क नहीं देना होगा. उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने इस बात की पुष्टि की है. बता दें केंद्र सरकार ने सभी राज्यों सरकारों के स्वास्थ्य विभाग को फूड सेफ्टी के लिए मुफ्त में स्ट्रीट वेंडर्स को लाइसेंस जारी करने के दिशा-निर्देश दिए थे. जिसके बाद प्रदेश की धामी सरकार ने केंद्र सरकार की फूड लाइसेंस की गाइडलाइन्स को राज्य में सख्ती के साथ लागू किया है.
फूड सेफ्टी के लिए सरकार ने उठाया कदम
दरअसल, स्ट्रीट वेंडर्स खाद्य पदार्थ बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं और लाइसेंस लेने के लिए उन्हें शुल्क देना होता है. ऐसे में स्ट्रीट वेंडर्स खासकर छोटे व्यवसायी फल-सब्जियों और अन्य वस्तुओं में ऐसे रसायन का इस्तेमाल कर रहे हैं जोकि इंसान के शरीर के लिए घातक हैं. इसलिए केंद्र की मोदी सरकार ने सभी राज्यों की सरकारों को मुफ्त लाइसेंस देना का आदेश दिया है. जिससे ये सभी स्वास्थ्य नियमों का पालन करने और गुणवत्ता के मानकों से जुड जाएंगे और लोगों की सेहत के साथ समझौता होने से रोका जा सकेगा.
नेमप्लेट लगाना भी अनिवार्य
इसके साथ ही स्ट्रीट वेंडर्स को लाइसेंस नंबर और अपना नाम, नेमप्लेट के साथ डिस्प्ले करना अनिवार्य किया गया है. धामी सरकार का मानना है कि ग्राहक को यह जानने का अधिकार है कि वो किससे और क्या सामान खरीद रहे हैं.
पिछले दिनों कांवड यात्रा के दौरान ये मुद्दा खुलकर सामने आया था जब कई गैर हिन्दू लोग अपनी पहचान छुपाकर खाद्य सामग्री बेचते पाए गए थे. जिसके बाद इसपर काफी विवाद भी हुआ था औऱ यह बहस का बड़ा मुद्दा बन गया था. अब धामी सरकार ने इस मुद्दे को धर्म से हटाकर सभी स्ट्रीट वेंडर्स के लिए लाइसेंस और नेमप्लेट अनिवार्य कर दी है.
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