नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उसना चावल यानी उबले चावल (परबॉयल्ड राइस) पर लगने वाली एक्सपोर्ट ड्यूटी को खत्म कर दिया है. पिछले सप्ताह ही हाई लेवल मिनिस्टीरियल पैनल ने इस आशय का निर्णय लिया था. अब इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पिछले महीने ही उसना चावल पर लगने वाली एक्सपोर्ट ड्यूटी को 20 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया था लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमत में आई गिरावट और देश में पहले से मौजूद चावल के पर्याप्त भंडार को देखते हुए सरकार ने उसना चावल पर लगने वाली एक्सपोर्ट ड्यूटी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है.
कुछ दिनों पहले ही इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (आईआरईएफ) ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मिलकर चावल पर लगने वाली एक्सपोर्ट ड्यूटी को खत्म करने की मांग की थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने हाई लेवल मिनिस्टीरियल फाइनल का गठन किया. इस मिनिस्टीरियल पैनल ने उसना चावल पर लगने वाली 10 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी को खत्म करने का फैसला लिया. आईआरईएफ का कहना है कि भारत के पास चावल का पर्याप्त भंडार पहले से मौजूद है. इसी तरह इस खरीफ सीजन में चावल की बंपर पैदावार हुई है, जिसके कारण जल्द ही देश के चावल भंडार में जबरदस्त बढ़ोतरी होने का अनुमान है.
आईआरईएफ की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को बताया गया कि फिलहाल देश में ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत 235 लाख टन चावल का विशाल स्टॉक मौजूद है. इसके अलावा इस सीजन में भी 275 लाख टन अतिरिक्त चावल के बाजार में आने की उम्मीद है. इस तरह देश में चावल का विशाल भंडार इकट्ठा हो जाएगा. ऐसे में चावल उत्पादक किसानों और चावल के कारोबारियों को तभी राहत मिल सकती है, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल के निर्यात के लिए उन्हें बंदिशों से मुक्त होकर काम करने का मौका मिले.
आईआरईएफ की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को दिए गए ज्ञापन में ये भी कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमत में लगातार गिरावट आई है. दूसरी ओर, एक्सपोर्ट ड्यूटी की वजह से भारतीय चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में तुलनात्मक तौर पर महंगा हो गया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल को प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य पर पेश करने से ही निर्यात के मोर्चे पर सफलता मिल सकती है. इन्हीं बातों को सामने रखते हुए आईआरईएफ ने केंद्र सरकार से 10 प्रतिशत की एक्सपोर्ट ड्यूटी को खत्म करने की मांग की थी.
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि उसना चावल से एक्सपोर्ट ड्यूटी खत्म कर देने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय चावल की कीमत में गिरावट आएगी, जिससे चावल के निर्यात में तेजी आएगी. ऐसा होने से किसानों का तो फायदा होगा ही, चावल के कारोबारियों की भी आय बढ़ेगी और सरकार के गोदामों में चावल के भंडारण और रखरखाव पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी.
इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन ने सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि उसना चावल को ड्यूटी फ्री करने से विशेष रूप से अफ्रीकी देशों में इसका निर्यात बढ़ सकेगा. इसके साथ ही दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भी भारतीय चावल की खेप पहुंच सकेगी. इन दोनों ही क्षेत्रों के देश कीमत को लेकर काफी संवेदनशील माने जाते हैं. यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमत में गिरावट आने के बाद इन देशों ने भारत से चावल लेने की जगह थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे देशों से चावल लेना शुरू कर दिया. अब एक्सपोर्ट ड्यूटी खत्म होने के बाद भारत का चावल भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी कीमत पर बेचा जा सकेगा, जिससे चावल खरीदने वाले देशों में भारतीय चावल की खपत बढ़ेगी.
हिन्दुस्थान समाचार
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