देश के सर्वोच्च न्यायलय ने किसी व्यक्ति की उम्र का निर्धारण करने के लिए आधार कार्ड को वैलिड डॉक्यूमेंट नहीं माना है. जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि किसी आधार का प्रयोग सिर्फ पहचान स्थापित करने के लिए किया जा सकता है. यह जन्मतिथि और उम्र का प्रमाण नहीं है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट पर अंकित जन्म तिथि को वैध डॉक्यूमेंट माना जाना चाहि.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए यह फैसला सुनाया है. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक सड़क हादसे के पीड़ित के लिए मुआवजा राशि तय करते समय आधार कार्ड को उम्र का प्रमाण माना था. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया.
पूरा मामला जानें
दरअसल, सड़क हादसे में जान गंवाने वाले व्यक्ति के परिजनों ने ये याचिका दाखिल की थी. बता दें ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में पहले 19 लाख रूपये का मुआवजा तय किया था. जब मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में गया कि इसकी रकम घटाकर 9 लाख 22 लाख रूपये कर दी गई. हाई कोर्ट ने आधार कार्ड को ही उम्र का वैलिड डॉक्यूमेंट माना था. हाई कोर्ट ने मृतक के आधार कार्ड पर भरोसा करते हुए उसकी उम्र 47 वर्ष आंकी थी. जिसके बाद पीड़ित परिवार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. परिवार ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने आधार कार्ड के आधार पर मृतक की उम्र निर्धारित करने में गलती की है क्योंकि यदि उसके स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र के अनुसार उसकी उम्र की गणना की जाती है, तो मृत्यु के समय उसकी उम्र 45 वर्ष थी.
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