नई दिल्ली: भारत और जर्मनी के बीच शुक्रवार को अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) पर सातवीं बैठक हुई. इस दौरान दोनों देशों के बीच संवेदनशील सूचना के आदान-प्रदान, ग्रीन हाइड्रोजन, नवाचार-प्रौद्योगिकी, श्रम-रोजगार, कौशल विकास-व्यावसायिक शिक्षा और हरित शहरी गतिशीलता संबंधित आठ प्रमुख विषयों पर सहमति बनी.
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के साथ बैठक की सह अध्यक्षता के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों का बढ़ता सहयोग आपसी विश्वास का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि हमारी साझेदारी में स्पष्टता है और इसका भविष्य उज्ज्वल है. वहीं, जर्मन चांसलर स्कोल्ज़ ने कहा कि जर्मनी चिकित्सा, देखभाल और आईटी क्षेत्र में भारत से और अधिक कुशल श्रमिक चाहता है.
प्रधानमंत्री मोदी और जर्मन चांसलर स्कोल्ज़ ने शुक्रवार को दिल्ली के हैदराबाद हाउस में दोनों देशों के 7वें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की सह अध्यक्षता की. 2011 में लॉन्च किया गया आईजीसी ढांचा, विभिन्न क्षेत्रों के बीच सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान और सहयोग की व्यापक समीक्षा की अनुमति देता है. इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर सहित अन्य मंत्री भी शामिल रहे.
#WATCH | Delhi: PM Narendra Modi tells German Chancellor Olaf Scholz, "I welcome you and your delegation to the 7th Inter-Governmental Consultation between India and Germany. This is your third visit to India, and fortunately, this is the first IGC of my third tenure. In a way,… pic.twitter.com/AzCSlTY56p
— ANI (@ANI) October 25, 2024
दोनों नेताओं ने बाद में संयुक्त प्रेस वक्तव्य दिया और भारत और जर्मनी के बीच हुए करारों के आदान-प्रदान के साक्षी बने. भारत और जर्मनी के बीच आज आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) तथा संवेदनशील सूचना के आदान-प्रदान और पारस्परिक संरक्षण पर समझौता हुआ है. दोनों देशों के बीच ग्रीन हाइड्रोजन तथा नवाचार और प्रौद्योगिकी पर रोडमैप तैयार हुआ. दोनों देशों ने रोजगार और श्रम के क्षेत्र में उन्नत सामग्रियों पर अनुसंधान और विकास में संयुक्त सहयोग तथा भारत-जर्मनी हरित शहरी गतिशीलता भागीदारी पर आशय संबंधी संयुक्त घोषणा की. साथ ही कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन हुआ है.
अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की युवा शक्ति जर्मनी की समृद्धि और विकास में योगदान दे रही है. हम भारत के लिए जर्मनी की कुशल श्रम रणनीतियों का स्वागत करते हैं. रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों में बढ़ता सहयोग हमारे गहरे आपसी विश्वास का प्रतीक है. संवेदनशील सूचनाओं की पारस्परिक सुरक्षा पर समझौता इस दिशा में एक नया कदम है. आज संपन्न पारस्परिक विधिक सहायता संधि आतंकवाद और अलगाववादी तत्वों से निपटने के हमारे संयुक्त प्रयासों को मजबूत करेगी.
दोनों देशों के बीच आज संवेदनशील जानकारी की पारस्परिक सुरक्षा संबंधी समझौता हुआ. इंडो-जर्मन ग्रीन हाइड्रोजन रोडमैप को मंजूरी मिली. रोजगार और श्रम से जुड़े समझ की संयुक्त घोषणा सहित भारत-जर्मनी के बीच उन्नत सामग्रियों पर अनुसंधान और विकास संबंधी करार हुए.
वार्ता में दोनों नेता हिन्द प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत स्वतंत्र आवाजाही और नियम आधारित व्यवस्था सुनिश्चित करने पर एकमत रहे. उन्होंने माना कि 20वीं सदी में बनाये गए ग्लोबल फोरम 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में सक्षम नहीं हैं. प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में इनका जिक्र करते हुए एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सहित अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में रिफॉर्म्स की आवश्यकता पर बल दिया.
यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष पर दोनों नेताओं ने चिंता व्यक्त की. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का हमेशा से मत रहा है कि युद्ध से समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता और शांति की बहाली के लिए भारत हरसंभव योगदान देने के लिए देने के लिए तैयार है.
इस दौरान इनोवेशन एंड टेक्नॉलजी रोडमैप लॉन्च किया गया। प्रधानमंत्री ने बताया कि महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, कौशल विकास और नवाचार में संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण पर भी सहमति बनी है. इससे आर्टिफिशियल इंस्टीट्यूट, सेमीकंडक्टर और क्लीन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बल मिलेगा.
जर्मनी की “फोकस ऑन इंडिया” स्ट्रेटेजी के लिए प्रधानमंत्री ने चांसलर शोल्ज़ का अभिनन्दन किया और कहा कि इसमें विश्व के दो बड़े लोकतंत्रों के बीच पार्टनरशिप को व्यापक तरीके से आधुनिक और उन्नयन करने का ब्लू प्रिन्ट है.
जर्मन चांसलर ने भारत को दक्षिण एशिया में स्थिरता का आधार बताया और कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था दबाव में आ गई है. उन्होंने सभी पक्षों (रूस और यूक्रेन) के साथ विश्वसनीय संबंध बनाने और संघर्ष के राजनीतिक समाधान में योगदान देने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तत्परता का उल्लेख किया.
चांसलर ने कहा कि जर्मनी चिकित्सा, देखभाल और आईटी क्षेत्र में भारत से और अधिक कुशल श्रमिक चाहता है. इस उद्देश्य के लिए भारत के साथ एक विशिष्ट देश-विशिष्ट एजेंडा विकसित किया है जिसे हमने नई दिल्ली में अपने सहयोगियों के सामने प्रस्तुत किया है. यह इस तरह का पहला देश-विशिष्ट एजेंडा है और कुशल श्रम पर हमारी रणनीति की रूपरेखा दर्शाता है. उन्होंने कहा कि भारत हरित हाइड्रोजन का वैश्विक केंद्र बनने के लिए तैयार है. जर्मन सरकार और जर्मन कंपनियाँ इस सफलता की कहानी का हिस्सा बनना चाहेंगी.
हिन्दुस्थान समाचार
ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़: सुकमा में 6 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, 24 लाख का इनाम था घोषित
ये भी पढ़ें- लद्दाख: डेमचोक और डेप्सांग में ‘जय श्री राम’ उद्घोष के साथ भारत-चीन के सैनिकों की वापसी शुरू
कमेंट