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हर निजी संपत्ति नहीं ले सकती सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

कोर्ट ने कहा कि 42वें संशोधन की धारा चार का उद्देश्य अनुच्छेद 39बी को निरस्त करना और उसी समय प्रतिस्थापित करना था. सभी निजी सम्पति समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं हो सकते.

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Nov 5, 2024, 01:54 pm IST
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट

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Supreme Court Verdict On Private Property Case:  क्या सरकार को निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर उसका दोबारा वितरण करने का अधिकार है. इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने 8: 1 के बहुमत से कहा कि हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति कह कर अधिग्रहण नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि संपत्ति की स्थिति, सार्वजनिक हित में उसकी जरूरत और उसकी कमी जैसे सवालों पर विचार जरूरी है.

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कृष्ण अय्यर के पिछले फैसले को बहुमत से खारिज कर दिया, जिसमें सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित नहीं किया जा सकता है. भले ही राज्य उन संसाधनों पर दावा कर सकता है जो सामग्री हैं और समुदाय द्वारा सार्वजनिक भलाई के लिए हैं.

चीफ जस्टिस ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि पुराना फैसला विशेष आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था. सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम मानते हैं कि अनुच्छेद 31सी को केशवानंद भारती मामले में जिस हद तक बरकरार रखा गया था, वह बरकरार है और हम सभी इस पर एकमत हैं. अनुच्छेद 31सी लागू रहेगा. चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रॉपर्टी के निरस्तीकरण को प्रभावी बनाना और अधिनियमन नहीं करना विधायी इरादे से मेल नहीं खाता और ऐसा करना मूल प्रावधान को छोटा कर देगा.

कोर्ट ने कहा कि 42वें संशोधन की धारा चार का उद्देश्य अनुच्छेद 39बी को निरस्त करना और उसी समय प्रतिस्थापित करना था. सभी निजी सम्पति समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं हो सकते. हालांकि कुछ सम्पति भौतिक ससाधन हो सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि 1960 और 70 के दशक में समाजवादी अर्थव्यवस्था की ओर झुकाव था लेकिन 1990 के दशक से बाजार उन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर ध्यान केंद्रित किया गया. भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा किसी विशेष प्रकार की अर्थव्यवस्था से दूर है बल्कि इसका उद्देश्य विकासशील देश की उभरती चुनौतियों का सामना करना है. पिछले 30 सालों में गतिशील आर्थिक नीति अपनाने से भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है.

चीफ जस्टिस ने कहा कि वह जस्टिस अय्यर के इस विचार से सहमत नहीं है कि निजी व्यक्तियों की संपत्ति सहित हर संपत्ति को सामुदायिक संसाधन कहा जा सकता है. नौ सदस्यीय संविधान बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस ह्रषिकेश राय, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा ,जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह थे. नौ जजों की बेंच में आठ जजों ने उपरोक्त फैसला सुनाया है जबकि जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इन जजों से विपरीत फैसला सुनाया.

हिंदुस्थान समाचार

ये भी पढ़ें:कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्रूडो पर साधा निशाना, सुषमा स्वराज को याद करते हुए कही ये बात

Tags: Supreme Court Verdict On Private PropertySupreme CourtSupreme Court NewsSupreme Court News In Hindi
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