Madras HC: मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यालय से “भारत माता” की एक मूर्ति को हटाने के लिए डीएमके सरकार को कड़ी फटकार लगाई. साथ ही राज्य सरकार को मूर्ति को राष्ट्रीय पार्टी को वापस करने का आदेश दिया. मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि निजी स्थान के अंदर मामलों को नियंत्रित करना राज्य का व्यवसाय नहीं है.
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने कहा कि मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि प्रशासन ने एक निजी संपत्ति से भारत माता की मूर्ति को संभवतः कहीं और दबाव के कारण हटा दिया है. यह कृत्य अत्यंत निंदनीय है और इसे भविष्य में कभी नहीं दोहराया जाना चाहिए. हम एक कल्याणकारी राज्य में रह रहे हैं जो कानून के शासन द्वारा शासित होता है. इसलिए, भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने वाले संवैधानिक न्यायालय द्वारा इस तरह की मनमानी को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.
बता दें कि, भाजपा कार्यालय के लिए संपत्ति 2016 में विरुधुनगर जिले में खरीदी गई थी, जिसके बाद हाथ में झंडा लिए भारत माता का प्रतिनिधित्व करने वाली एक मूर्ति भी स्थापित की गई थी.राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि उन्होंने 2022 में उच्च न्यायालय के आदेश के दिशानिर्देशों के आधार पर भाजपा को नोटिस जारी किया था. कहा गया था कि किसी भी नेता के लिए कोई नई मूर्ति स्थापित नहीं की जानी चाहिए, और जिन मूर्तियों में अशांति पैदा करने की प्रवृत्ति है, उन्हें अन्य जगहों पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए. समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिमा को हटा दिया गया और इसे राजस्व विभाग के कार्यालय में सुरक्षित रखा गया है.
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