शिमला: उपनगर संजौली की चर्चित मस्जिद विवाद मामले में सोमवार को जिला एवं सत्र कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से मस्जिद कमेटी का ब्यौरा तलब किया है.
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण शर्मा ने वक्फ बोर्ड से जवाब मांगा है कि संजौली मस्जिद में कोई कमेटी क्रियाशील है या नहीं. दरअसल, याचिकाकर्ता मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के सदस्य व ऑल हिमाचल मुस्लिम लीग के प्रवक्ता नजाकत अली हाशमी ने कोर्ट में दायर अपील में दावा किया है कि संजौली मस्जिद कमेटी पंजीकृत नहीं है और इस मसले पर फैसले का अधिकार मस्जिद कमेटी के प्रधान मोहम्मद लतीफ को नहीं है. ऐसे में मोहम्मद लतीफ की ओर से नगर निगम आयुक्त कोर्ट में दायर किया गया हलफनामा गैरकानूनी है.
याचिकाकर्ता मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के अधिवक्ता विश्वभूषण ने आज सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि संजौली मस्जिद में कोई भी कमेटी नहीं बनी है. सलीम और मोहम्मद लतीफ कभी भी मस्जिद कमेटी के प्रधान नहीं रहे और ये दोनों वक्फ बोर्ड एक्ट की धारा 18 के तहत मस्जिद कमेटी के अधिकृत पदाधिकारी नहीं हैं. ऐसे में वे नगर निगम आयुक्त की कोर्ट में मस्जिद मामले में पेश नहीं हो सकते थे, लेकिन नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने सुनवाई में इस बात को नहीं देखा कि ये दोनों किस हैसियत से कोर्ट में पेश हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिला कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से पूछा है कि वो बताए कि वक्फ बोर्ड एक्ट के तहत संजौली मस्जिद कमेटी बनी भी है या नहीं. उन्होंने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को हाेगी.
उल्लेखनीय है कि संजौली की इस विवादित मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर बीते 5 अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने सुनवाई करते हुए मस्जिद की तीन मंजिलों को अवैध ठहराया और मस्जिद कमेटी को इन्हें ध्वस्त करने के आदेश दिए. इन आदेशों की अनुपालना करते हुए मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को गिराने का काम चला रखा है और मस्जिद का छत ताेड़ दिया है. हाई कोर्ट ने नगर निगम कोर्ट को इस मामले को जल्द निपटाने के आदेश दिए हैं. दो दिन पहले नगर निगम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड से बाकी दो मंजिलों की स्थिति बारे जवाब तलब किया है. नगर निगम ने मस्जिद की ग्राउंड और पहली मंजिल के बारे में जवाब दाखिल करने को कहा है.
मस्जिद में अवैध निर्माण पर हुआ था बवाल
संजौली मस्जिद विवाद बीते सितंबर महीने से लगातार चर्चा में है. शिमला में हिंदू समाज के तमाम लोगाें ने मस्जिद तोड़ने के लिए आंदोलन चलाए. 11 सितंबर को उग्र प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियाें के बैरिकेडिंग तोड़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. यह विवाद तब सामने आया था जब मल्याणा क्षेत्र में विक्रम सिंह नाम के एक स्थानीय शख्स के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की थी. विक्रम ने ढली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई थी. आरोप है कि मारपीट को अंजाम देकर आरोपित मस्जिद में छिप गए. इसके बाद हिंदू संगठनों ने संजौली मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन किया और अवैध बताकर मस्जिद को गिराने की बात कही. देखते ही देखते ये मामला और तूल पकड़ लिया.
हिन्दुस्थान समाचार
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