कुशीनगर: तख्तापलट के पूर्व भारत आने के लिए टूरिस्ट वीजा प्राप्त किए बंग्लादेश के बौद्ध तीर्थ यात्रियों ने भारत सरकार से टूरिस्ट वीजा जारी करने की मांग की है. तीर्थयात्रियों ने गुरुवार को कुशीनगर में महापरिनिर्वाण मंदिर में दर्शन पूजन किया और शोभा यात्रा निकाली. प्रतिमा पर चीवर चढ़ाकर विश्व शांति व बांग्लादेश और भारत के मध्य मैत्रीपूर्ण सम्बंधों की मजबूती के लिए विशेष प्रार्थना किया.
उल्लेखनीय है कि हर साल नवंबर दिसंबर में बंगलादेश से हजारों की संख्या में पर्यटक बौद्ध सर्किट के कुशीनगर, सारनाथ, बोधगया, श्रावस्ती, लुंबनी आदि में दर्शन पूजन के लिए आते हैं. किंतु तख्तापलट के बाद भारत सरकार ने टूरिस्ट वीजा जारी करने पर रोक लगा दी है। इस कारण इस साल बेहद कम संख्या में पर्यटक आ रहे हैं.
पत्रकारों से बातचीत में बंग्लादेश के शिबली तीर्थ तरंग के 60 सदस्यीय यात्रियों के ग्रुप लीडर उदयन बरुआ ने बताया कि अपने ही देश में बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भय के साए में रहने को विवश हैं. वहां अनिश्चितता की स्थिति है. वहां हम लोग असुरक्षित हैं. उन्होंने कहा कि भारत हमारे लिए पवित्र भूमि है. प्रत्येक बंग्लादेशी बौद्ध भारत आकर बौद्ध तीर्थ स्थलों पर पूजा करना चाहता है. पहले भारत सरकार हमें तीर्थयात्रा वीजा देती थी. इसका कोटा था लेकिन अब इस वीजा की सुविधा नहीं मिलने से हमें भारत आने में असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. बरुआ ने भारत सरकार से पुनः तीर्थयात्रा वीजा सुविधा बहाल करने की मांग की है. कुशीनगर आने वाला बंग्लादेशी पर्यटकों का यह पहला ग्रुप है. ग्रुप में भिक्षु बुद्धपाल, वीरसिंधु बरुआ, शीलप्रभा बरुआ, तपन कुमार बरुआ, रत्ना बरुआ, चित्रसेन बरुआ, दया बरुआ, भिक्षु धम्मानन्द, भिक्षु बुद्धप्रिय, भिक्षु धम्मप्रिय, भिक्षु कल्याणमित्र, शामिल हैं.
बांग्लादेश में हैं दस लाख बौद्ध
कुशीनगर के प्रमुख भिक्षु अशोक ने बताया की बांग्लादेश में लगभग 10 लाख लोग बौद्ध धर्म के अनुआयी हैं. जो थेरवाद शाखा से आते हैं. थेरवाद बौद्ध धर्म की प्राचीन शाखा है. इसकी आधी से अधिक आबादी चटगांव क्षेत्र में केंद्रित है. जहां यह राखीन, चकमा, मर्मा, तनचंग्या, जुम्मा, बरुआ और विश्वास उप नाम लिखते हैं. शेष बंगाली बौद्ध हैं.
हिन्दुस्थान समाचार
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