उत्तर प्रदेश में संभल की जामा मस्जिद का मुद्दा इन दिनों काफी गर्माया हुआ है, बीते दिन हुए सर्वें ने देखते ही देखते हिंसक झड़प का रूप ले लिया. इस दौरान चार लोगों की मौत हो चुकी है वहीं 20 से ज्यादा लोग (सुरक्षाकर्मी भी) घायल बताए जा रहे हैं. सर्वे से नाराज भीड़ ने पुलिस पर पत्थरबाजी और आगजनी की जिसके चलते हालात संभालने के लिए पुलिस को भी लाठीचार्ज करना पड़ा.
इस हिंसक घटना के बाद कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. साथ ही इलाके में स्कूलों को बंद और इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगाया गया है. इस हिंसा के आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाही की जा रही है.
बता दें कि 19 नवंबर को अदालत के आदेश के बाद रात में सर्वे किया गया थे, इसके बाद 24 नवंबर को दूसरी बार सर्वे के लिए टीम पहुंची जिसे दोनों ही पक्षों की मौजूदगी में किया जाना था. मगर सर्वे का भारी विरोध किया गया, और भीड़ में शामिल अराजक तत्वों ने सर्वे शुरू होते ही हमला करना शुरु कर दिया. बिगड़े माहौल को काबू में करने के लिए आसपास के जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल को लगाया गया. भीड़ को हटाने के लिए आंसू गैस, लाठीचार्ज करना पड़ा.
संभल में शाही जामा मस्जिद या फिर हरिहर मंदिर बना?
संभल की शादी जामा मस्जिद का विवाद इन दिनों पूरे देश का ध्यान खींच रहा है. हिंदू पक्ष का दावा है कि इस जगह पर पहले हरिहर मंदिर मौजूद था जोकि हिंदुओं की आस्था का एक प्रमुख केंद्र था इस पर बाद में बाबर द्वारा 1519 में मस्जिद का निर्माण करवाया गया. इसे लेकर कई तरह के सबूत पेश किए जा रहे हैं.
ASI की 1875 की रिपोर्ट है बड़ा सबूत
इस मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट को बड़ा सबूत माना जा रहा है. अधिकारी ए.सी.एल. कार्लाइल (A. C. L. Carlleyle) द्वारा तैयार रिपोर्ट, “Tours in the Central Doab and Gorakhpur 1874–1875,, में जामा मस्जिद के बारे में विस्तार से बताया गया है. इस रिपोर्ट में मस्जिद के अंदर और बाहर के खंबों को पुराने हिंदू मंदिर का बताया गया है. इन्हें प्लास्टर लगाकर छिपाने का प्रयास किया गया. यहां इन खंबों पर हिंदू मंदिरों में इस्तेमाल होने वाली डिजाइन और संरचना थी.
शिलालेख खोलता है राज
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि मस्जिद में एक शिलालेख हे जिसमें लिखा है कि इसका निर्माम 933 हिजरी में मीर बेग ने पूरा किया था. मीर हिंदू बेग बाबर का दरबारी था. इस शिलालेख में इस बात का स्पष्ट प्रमाण मिलता है कि इस मस्जिद को हिंदुओं के धार्मिक स्थल पर करवाया गया था.
बबरनामा में है उल्लेख
बता दें बाबर की जीवनी बाबनामा में भी संभल की जामा मंस्जिद का उल्लेख किया गया है, इसमें हिंदू मंदिर को तोड़कर मस्जिद को बनाया गया है. इस बात का स्पष्ट उल्लेख मिलता है. अब इसे ही केस में सबूत के तौर पर आधार बनाया जा रहा है.
एएसआई की रिपोर्ट 1875 में भी कई ऐसे साक्ष्य दर्ज है जोकि इस मस्जिद के नीचे हिंदू मंदिर देने के संकेत देता है.
मस्जिद के अंदर के खंबे मुस्लिम खंबों से बिल्कुल अलग है, ये विशुद्ध रूप से हिंदू वास्तुकला का प्रतीक हैं.
एएसआई के मुताबिक मस्जिद का जीर्णोद्धार हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शासनाकाल में किया गया था.
मस्जिद की संरचना में भी ऐसे कई अवशेष पाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल पहले के मंदिरों में होता था इसे पीओपी से बाद में ढक दिया गया.
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