नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि आने वाले महीनों के लिए भारत का आर्थिक परिदृश्य ‘सतर्क रूप से आशावादी’ है. मंत्रालय ने मानसून की अनुकूल स्थिति, बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खेती में इस्तेमाल होने वाले माल की पर्याप्त आपूर्ति की वजह से कृषि क्षेत्र को लाभ मिलने की संभावना जताई है. हालांकि, बाहरी मोर्चे पर विकसित बाजारों में मांग में नरमी के कारण भारत की निर्यात वसूली के चुनौतियों का सामना करने की संभावना है.
आर्थिक मामलों के विभाग ने अक्टूबर संस्करण के लिए जारी मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि बेहतर कृषि उपज की संभावनाओं ने चुनिंदा खाद्य वस्तुओं में मौजूदा मूल्य दबावों के बावजूद मुद्रास्फीति के परिदृश्य को नरम बना दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर की शुरुआत के रुझानों ने प्रमुख खाद्य कीमतों में नरमी का संकेत दिया है. हालांकि, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-राजनीतिक कारक घरेलू महंगाई और आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करना जारी रख सकते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक धुंधली वैश्विक पृष्ठभूमि के बीच भारत में आर्थिक गतिविधियों के कई उच्च आवृत्ति संकेतकों ने अक्टूबर माह में वापसी दिखाई है. इसमें ग्रामीण और शहरी मांग के संकेतक और क्रय प्रबंधक सूचकांक और ई-वे बिल जैसे आपूर्ति पक्ष के संकेतक शामिल हैं. इसके साथ ही अनुकूल मानसून, पर्याप्त जलाशय स्तर और उच्च न्यूनतम समन मूल्य से रबी की बुवाई और उत्पादन को बढ़ावा मिलने की संभावना है.
रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले महीनों में खरीफ की बंपर फसल से खाद्य महंगाई कम होने की उम्मीद है. रोजगार के मोर्चे पर कहा गया है कि औपचारिक कार्यबल का विस्तार हो रहा है, विनिर्माण नौकरियों में उल्लेखनीय वृद्धि और संगठित क्षेत्रों में युवाओं का मजबूत प्रवाह है.
हिन्दुस्थान समाचार
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