पूरा देश आज संविधान की 75वीं वर्षगांठ बड़े धूम-धाम के साथ मना रहा है. आज ही के दिन 26 नवंबर 1949 को संविधान बनकर तैयार हो गया था. हमारा संविधान महज एक दस्तावेज ही नहीं बल्कि प्रत्येक भारतीय के अधिकारों की सुरक्षा और कानून के समक्ष सभी को समानता का एक अट्टू विश्वास है. हमारा संविधान विविधताओं में एकता और देश को एक माला में पिरोने का काम करता है.
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रीढ़ की हड्डी हमारा संविधान ही है और संविधान का निर्माण करने वाले संविधान सभा के सदस्यों को कृतज्ञ राष्ट्र नमन कर रहा है. वंदन कर रहा है. केंद्र की मोदी सरकार ने संविधान दिवस के परिपेक्ष्य में 19 नवंबर 2015 को अधिसूचना जारी की थी और पहला संविधान दिवस 26 नवंबर 2015 को मनाया गया था. आज 10 वां संविधान दिवस है.
संविधान की बात हो और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का नाम ना आये, ऐसा हो ही नहीं सकता है. बाबा साहेब का संविधान निर्माण में बहुत बड़ा योगदान है. उन्हें संविधान का जनक तक कहा जाता है. बाबा साहेब प्रारुप समिति के अध्यक्ष थे. आइए जानते हैं संविधान की वो 10 बातें जो हर भारतीय को पता होना चाहिए.
1. जब हमारे संविधान की रचना हुई थी तब संविधान में 395 अनुच्छेद थे. मूल अनुच्छेद, संविधान में आज भी इतनी ही है. लेकिन समय समय पर होने वाले संशोधनों के कारण आज कुल अनुच्छेदों की संख्या 450 से ज्यादा हो गई है, लेकिन ये मूल अनुच्छेद के ही विस्तार के रूप में स्थापित किये गये हैं. वहीं मूल संविधान में 22 भाग और 8 अनुसूचियां थी. जो अब क्रमश: 25 और 12 हो गए हैं.
2. संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1947 को हुई. जब डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया. उसके बाद 11 दिसंबर 1947 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा ने अपना स्थायी अध्यक्ष चुना. 13 दिसंबर की बैठक में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया और 22 जनवरी 1948 को स्वीकार कर लिया गया. यह उद्देश्य प्रस्ताव की संविधान की प्रस्तावना बना.
3. भारत के संविधान की प्रस्तावना में दो शब्द सेक्युलर (Secular) और सोशलिस्ट (Socialist) 1976 में आपातकाल के दौरान जोड़े गये थे.
4. भारतीय संविधान में अबतक 106 संशोधन हो चुके हैं. 106 वां संशोधन लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान है.
5. संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से लेकर 35 तक नागिरकों को 6 मूल अधिकारों का जिक्र किया गया है. अगर किसी नागरिक के मूल अधिकारों का उल्लंघन होता है तो वह आर्टिकल 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट और आर्टिकल 226 के तहत हाई कोर्ट का रूख कर सकता है. यह मूल अधिकार निम्न हैं.
– समानता का अधिकार : अनुच्छेद14 से 18 तक.
–स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 तक.
– शोषण के विरुद्ध अधिकार : अनुच्छेद 23 से 24 तक.
–धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 तक.
–सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 तक.
–संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32
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