26 नवंबर 2012 यानि आज से 12 साल पहले राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी का स्थापना हुई थी. आज पार्टी अपना स्थापना दिवस मना रही है. 10 अप्रैल 2023 को चुनाव आयोग के पार्टी की परफॉर्मेंस के आधार पर उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया. 12 साल के इस सफर में पार्टी ने कई उतार-चढ़ाव देखे. यह साल 2024 तो आप के लिए मुश्किलों भरा रहा. पार्टी के आधा दर्जन शीर्ष नेता भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में गए थे. अभी जमानत पर बाहर है. इन 12 सालों में आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के कई साथियों का भी पार्टी से मोहभंग हो गया और उन्होंने पार्टी छोड़ दी.
अन्ना आंदोलन से जन्मी पार्टी के साथ शुरूआत में अपना प्रोफेशन छोड़कर आए कई पढ़े- लिखे नेता केजरीवाल के साथ आए थे लेकिन समय के साथ एक-एक कर ये दिग्गज पार्टी का दामन छोड़ते चले गए. लेकिन आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हार नहीं मानी और संगठन को मजबूत करते रहे.
2 राज्यों में सरकार, 3 लोकसभा और 10 राज्यसभा सांसद
आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली और पंजाब में है. दिल्ली में जहां पार्टी 2013 से सत्ता में है. तो वहीं पंजाब में आम आदमी पार्टी ने साल 2022 में हुए विधानसभा में चुनाव में 117 में से 92 सीट जीतकर सरकार बनाई. भगवंत मान पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं. वहीं गुजरात में पार्टी के 5 विधायक, गोवा में 2 और जम्मू-कश्मीर में 1 विधायक है. लोकसभा के 3 सांसद और राज्यसभा के 10 सांसद है. इतना ही नहीं दिल्ली में नगर निगम में आम आदमी पार्टी के सबसे ज्यादा पार्षद है. मेयर, डिप्टी मेयर भी आम आदमी पार्टी का है. इसके साथ ही देश के अलग-अलग नगर निगमों में आम आदमी पार्टी के पार्षद हैं.
जब पहली बार लड़ा था चुनाव
आम आदमी पार्टी के गठन के बाद जब साल 2013 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए तो पहली बार चुनावी मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी ने 70 में से 28 सीटें जीत ली. अरविंद केजरीवाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को नई दिल्ली सीट से रिकॉर्ड अंतर से हराया था. लेकिन पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में कांग्रेस ने आप को बाहर से समर्थन दिया. जिसके बाद कांग्रेस की बैसाखी के सहारे केजरीवाल पहली बार 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली के सीएम बने लेकिन 49 दिन की सरकार चलाने के बाद 14 फरवरी 2014 को केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके पीछे की वजह से बताया गया कि आम आदमी पार्टी सरकार जन लोकपाल बिल को दिल्ली की विधानसभा में पेश नहीं कर पा रही है. केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और विधानसभा को निलंबित कर दिया गया.
2015 और 2020 में भारी बहुमत से दिल्ली में बनाई सरकार
2015 में एक बार फिर दिल्ली में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजा. इस बार केजरीवाल ने 70 में 66 सीटों पर विजय पताका फहरा दी. 3 सीटें ही बीजेपी को मिली. वहीं कांग्रेस खाली हाथ रही. 5 साल सरकार चलाने के बाद 2020 में फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी 62 सीटें जीतने में कामयाब रही. बीजेपी 8 सीटों पर ही समिट गई. कांग्रेस फिर एक बार निराश हो गई.
शराब घोटाला बना गले की फांस
दिल्ली में नई शराब नीति में अनियमितताओं के आरोप में आम आदमी पार्टी के नेता बुरे फंस गए. सीबीआई और ईडी की रडार पर रहे पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, संजय सिंह यहां तक की सीएम केजरीवाल को तिहाड़ जेल जाना पड़ा. उधर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येंद्र जैन भी जेल में बंद थे. पार्टी के आधा दर्जन शीर्ष नेताओं के जेल में होने के चलते दिल्ली सरकार पर काम पर प्रभाव देखा गया. हालांकि मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज सीएम की अनउपस्थिति में काम देखते रहे. कुछ समय बाद सुप्रीम कोर्ट ने आप के नेताओं को जमानत दे दी लेकिन केजरीवाल को सीएम ऑफिस नहीं जाने, किसी फाइल पर दस्खत करने और केस से जुड़े किसी व्यक्ति से मिलने की मनाही की गई.
आतिशी को बनाया मुख्यमंत्री
सुप्रीम कोर्ट की शर्तों में बंधे केजरीवाल ने अपनी सहयोगी और विश्वासपात्र आतिशी को दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बना दिया और 2025 विधानसभा में जीतने के बाद ही कुर्सी पर बैठने की बात कही. केजरीवाल का कहना है कि अगर जनता दोबारा उनको जिताकर सरकार बनाएगी तभी वो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे.
2025 विधानसभा चुनाव में जुटी AAP
फरवरी 2025 में दिल्ली में फिर एक बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे है. यह चुनाव केजरीवाल के लिए नाक का सवाल बन गया है. केजरीवाल का मानना है कि यह चुनाव सिद्ध करेगा कि वो ईमानदार हैं कि नहीं. वहीं बीजेपी और कांग्रेस केजरीवाल पर दिल्ली को बर्बाद करने और जनता के पैसे का दुरूपयोग करने का आरोप लगा रहे है. दिल्ली की सियासत में हर दिन घटनाक्रम बदल रहा है. आप के कई नेता बीजेपी और कांग्रेस में शामिल हो रहे है. तो केजरीवाल दूसरे दलों में सेंधमारी कर अपना पलड़ा भारी करने में जुटे हैं. केजरीवाल की पार्टी ने चुनाव से 2 महीने पहले ही अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी. जिसमें दूसरे दलों से आए 6 नेताओं को टिकट दिया गया है.
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