नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के संभल की जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर को लेकर उठे विवाद पर देश के सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई की. कोर्ट की तरफ से निचली अदालत के आदेश के खिलाफ सुनवाई करते हुए कई महत्वपूर्ण और सख्त बातें कही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका कर्ता से पूंछा की वो पहले हाई कोर्ट क्यों नहीं गए, साथ ही निचली अदालत को कोई भी आदेश न देने के निर्देश दिए गए हैं और शांति व्यवस्था को बनाए रखने की बात की है.
मस्जिद कमेटी की दलीलें
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कई सख्त निर्देश दिए हैं. सुनवाई के दौरान मस्जिद कमेटी की तरफ से दलील दी गई है सर्वे का आदेश उसी दिन दिया गया जिस दिन केस का आवेदन किया गया. साथ ही उसी शाम पहला सर्वे भी कर लिया गया. जब मस्जिद कमेटी कानूनी सलाह लेने की तैयारी कर रही थी उसके अगले दिन (24 नवंबर) को सुबह दूसरे सर्वे के लिए टीम पहुंच गई जहां नमाजी नमाज अदा कर ने लिए इक्ट्ठा हुए थे, इसी दौरान उन्हें वहां से जाने के लिए कहा गया और सारी घटना घटी.
अदालत के अहम निर्देश
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वो तब तक इस मामले में आगे न बढ़े जब तक की मस्जिद कमेटी की याचिका सूचीबद्ध न हो जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को हाई कोर्ट में न जाने के पीछे की वजह भी पूछी, साथ ही सख्त आदेश दिया कि कमिश्नर रिपोर्ट को सील बंद लिफाफे में रखा जाए और कोर्ट में पेश होने तक इसे न खोलने के लिए कहा. उच्च अदालत को निर्देश दिया है कि याचिका दायर करने के तीन दिन के अंदर ही याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए. मस्जिद वाले पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था को चाख चौबंद और शांति व सद्भाव के माहौल को बनाए रखने के निर्देश दिए हैं.
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