कनाडा और भारत के रिश्ते इस समय बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रहे हैं. उनमें एक बड़ा कारण वहां अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है. कनाडा भारतीय एजेंसियों पर लगातार निज्जर की हत्या का आरोप लगा रहा है तो वहीं भारत ने कनाडा के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रहा है. दोनों देशों ने एक दूसरे के राजनियकों को निष्काषित भी कर दिया है. इन सबके बीच कनाडा के ओंटारियो कोर्ट ने हिंदू मंदिर के पक्ष में बड़ा फैसला दिया है. कनाडाई कोर्ट ने टोरंटो के स्कारब्रॉ में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के 100 मीटर के दायरे में बिना परमिशन के किसी भी व्यक्ति को एंट्री करने से मना किया है. कोर्ट ने इस संबंध में पुलिस को निर्देश दे दिए हैं. बता दें आदेश विशेष रूप से मंदिर में आयोजित होने वाले कांसुलर कैंप के दौरान लागू रहेगा. अदालत के इस आदेश के तहत शनिवार को सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक निषेधाज्ञा लागू रहेगी.
क्या होता है कांसुलर कैंप?
दरअसल, पिछले कुछ महीनों में अलगाववादियों द्वारा भारतीय मंदिरों और कांसुलर कैंपों पर हमले बढ़ गए हैं. 3 नवंबर को ब्राम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में खालिस्तानियों ने हमला किया था, जिसमें कई लोग घायल हुए थे. बता दें कांसुलर कैंप मंदिरों में आयोजित किए जाते हैं. यह एख प्रकार से भारतीय नागरिकों के लिए सेवा का काम है. इन कैंपों में भारतीय नागरिकों को पासपोर्ट, वीजा और अन्य डॉक्यूमेंट संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराई जाती है. लेकिन अलगाववादियों के विरोध के चलते इन कैंपों को बार-बार रद्द करना पड़ता है.
अदालत ने की सख्त टिप्पणी
लक्ष्मी नारायण मंदिर प्रशासन ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर उपद्रवी तत्वों को मंदिर कैंपस से दूर रखने के लिए निषेधाज्ञा लागू करने की अपील की थी. जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उनकी इस मांग को उचित ठहराया. कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि मंदिर पर हमले की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. जज ने कहा, कांसुलर कैंप में बड़ी संख्या में बुजुर्ग और नागिरक आते हैं. इस स्थिति में हमला होता है तो जान-माल का नुकसान हो सकता है. सुरक्षा के अभाव में गंभार क्षति हो सकती है.
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