सुखबीर सिंह बादल को धार्मिक सजा देने के लिए आज अकाल तख्त में पांच सिंह साहिबानों की बैठक हुई. जिसमें सुखबीर बादल और अन्य लोगों को सजा सुनाई गई. अकाल तख्त ने सुखबीर बादल सहित सभी लोगों को अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में वॉशरूम साफ करने, बर्तन साफ करने की सजा दी है. अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने बताया कि इन सभी को 3 दिसंबर 2024 से रोजाना दोपहर 12 बजे 1 बजे तक गोल्डन टेंपल में वॉशरूमों की सफाई करनी होगी. इसके बाद स्नान कर लंगर हॉल में जाकर 1 घंटे तक बर्तन धोएंगे इसके बाद एक घंटे तक शबद कीर्तन करना होगा. ज्ञानी रघुबीर सिंह ने बताया कि इस दौरान उनके गले में एख तख्ती भी डाली जाएगी. सिर्फ गोल्डन टेंपल में ही नहीं यहां दरबार में 2 दिन सेवा करने के बाद वह अगले 2-2 दिन केसगढ़ साहिब, दमदमा साहिब, मुक्तसर साहिब, फतेहगढ़ साहिब में सेवा करके अपनी सजा पूरी करेंगे. बता दें कि दो महीने पहले सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त ने ‘तनखैया’ (धार्मिक दुराचार का दोषी) घोषित किया था.
VIDEO | Five high priests headed by Akal Takht Jathedar Giani Raghbir Singh pronounce punishment for former Punjab deputy CM Sukhbir Singh Badal for religious misconduct.
On August 30, Sukhbir was declared ‘tankhaiya’ by Akal Takht, which held him guilty of religious misconduct… pic.twitter.com/MwPKXI1OS3
— Press Trust of India (@PTI_News) December 2, 2024
SAD के नए अध्यक्ष का चुनाव 6 महीने में हो
धार्मिक सजा के साथ ही अकाल तख्त ने शिरोमणि अकाली दल की कार्य समिति को तीन दिनों के भीतर सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार करने और अकाल तख्त साहिब को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही अकाल तख्त ने शिरोमणि अकाली दल की 6 महीने के भीतर नए अध्यक्ष का चुनाव करने का भी निर्देश दिया है और पार्टी की कार्य समिति को सदस्यता अभियान शुरू करने के लिए कहा है.
प्रकाश सिंह बादल की ‘फकर-ए-कौम’ की उपाधि वापस ली
अकाल तख्त ने अकाली सरकार के दौरान डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दी गई माफी के मामले में अकाल तख्त ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को दी गई ‘फकर-ए-कौम’ उपाधि वापस ले ली.
सुखबीर बादल ने कबूल किए आरोप
अकाल तख्त के सामने पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने अपनी सारी गलतियों को स्वीकार कर लिया. सुखबीर सिंह बादल ने स्वीकार किया कि अकाली सरकार के दौरान डेरा प्रमुख राम रहीम को माफी दिलाने में उन्होंने भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा था, ‘हमसे बहुत भूलें हुई हैं. हमारी सरकार के दौरान बेअदबी की घटनाएं हुईं. हम दोषियों को सजा देने में नाकाम रहे, बेहबलकला गोलीकांड हुआ.’
क्या है राम रहीम से जुड़ा मामला?
बता दें साल 2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने गुरु गोबिंद सिंह की वेशभूषा धारण करके अमृत छकाने का स्वांग रचा था. इसे लेकर राम रहीन के खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज हुआ था. लेकिन तत्कालीन अकाली सरकार ने राम रहीम को सजा दिलवाने की जगह उसके खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए थे. अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए राम रहीम को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था. अकाल तख्त के गुस्से और नाराजगी के बाद राम रहीम को माफी देने का फैसला वापस लिया गया था.
क्या होती है तनखैया की सजा?
सिख धर्म से जुड़े लोग जानते हैं कि तनखैया क्या होता है. तनखैया का मतलब होता है धार्मिक गुनहगार या दोषी व्यक्ति का हुक्का-पानी बंद करना. कोई भी सिख अपने धार्मिक नियमों को ताक पर रखकर कोई फैसला लेता है तो अकाल तख्त को अधिकार है कि उसे उचित सजा दे. तनखैया घोषित किया गया व्यक्ति न तो किसी भी तख्त पर जा सकता है और न किसी सिंह से अरदास करवा सकता है, अगर कोई उसकी तरफ से अरदास करता है तो उसे भी कसूरवार माना जाता है. आरोपी सिख संगत के सामने पेश होकर अगर अपनी गलती की क्षमायाचना करता है उसे माफ भी कर दिया जाता है. सुखबीर बादल के माफीनामा सौंपने पर भी उन्हें माफी नहीं दी गई. उन पर सिख धर्म की मर्यादा के खिलाफ जाने के आरोप सिद्ध हुए और उन्हें तनखैया करार दे दिया गया.
सुखबीर बादल से पहले इन लोगों को मिल चुकी है सजा
सिख इतिहास में सुखबीर बादल पहले ऐसे नेता नहीं है जिन्हें धार्मिक सजा सुनाई गई हो। इससे पहले कई नेताओं को धार्मिक सजा सुनाई जा चुकी है. श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार रघबीर सिंह की मौजूदगी में साेमवार काे सुनाई गई इस सजा की सिख धर्म और खासकर पंजाब के राजनैतिक इतिहास में एक खास अहमियत रही है. इस खास अहमियत के चलते इस सूबे के महाराजा और मुख्यमंत्रियों से लेकर राष्ट्रपति तक को अपना सिर अकाल तख्त के सामने झुकाना पड़ा है. पंजाब में सिखों का साम्राज्य कायम करने वाले महाराजा रणजीत सिंह की पीठ पर तत्कालीन जत्थेदार ने कोड़े बरसवाए थे. ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद दरबार साहिब आए राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को भी तनखाहिया करार दिया गया था. पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह को जब तनखाहिया करार दिया गया तो उनकी मां के निधन पर कोई भी ग्रंथी पाठ करने के लिए नहीं गया था. पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला की धार्मिक सजा आजतक चर्चा का विषय है. बरनाला को गले में ‘मैं पापी हूं’ की तख्ती पहनकर संगत के जूते साफ करने की सजा मिली थी। अकाली नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया, सुच्चा सिंह लंगाह को भी तनखाहिया घोषित किया जा चुका है.
अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह के आदेशानुसार शिरोमणि अकाली दल की सरकार में मंत्री रहे 23 लोगों को सोमवार को अकाल तख्त पर पेश होना था. इसमें से पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, सेवा सिंह सेंखवा, तोता सिंह, अजीत सिंह कोहाड़, रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, कैप्टन कंवलजीत सिंह की मौत हो चुकी हैं। सुच्चा सिंह लंगाह को सिख पंथ से निष्कासित किया जा चुका है.
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