दिल्ली-NCR में प्रदूषण मामले पर सोमवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को प्रदूषण की समस्या के लिए सही नीति ना आपनाने पर फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या एकशन लिया जा रहा है, जिसके बावजूद निर्धारित मानकों से भी प्रदूषण कम नहीं हुआ? एक आवेदक की ओर से WHO की रिपोर्ट से जानकारी मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर यह टिप्पणी की है. आवेदक का यह मानना है कि कोई नीति नहीं है. सरकार द्वारा उठाए गए कदम केवल आपतकाल में लागू किए गए हैं. इस पर केंद्र सरकार ने आपत्ती जताई है.
सु्प्रीम कोर्ट का यह कहना है कि GRAP सिर्फ एक ऐसी व्यवस्था है जो हालात खराब हो जाने पर लागू की जाती है. यह कोई नीति नहीं है जिससे समस्या से पूरी तरह से छुटकारा पाया जा सके. यह केवल स्थायी समाधान है. सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी को यह निर्देश दिए की वे अपने रिकॉर्ड में रखें की क्या एफआईआर दर्ज की गई थी और बाकी दस्तावेज भी. एएसजी ने इस पर सहमती करार करते हुए कारवाई का हवाला दिया है.
अधिकारियों पर कोई केस दर्ज क्यों नहीं- कोर्ट कमिश्नर
सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट कमिन्श्रर से क्या कार्रवाई हुई और क्या आपराधिक कानून व्यवस्था चालू की गई थी. इस पर कोर्ट कमिश्नर मनन वर्मा ने अपनी रिपोर्ट पढ़ी और कहा कि CAQM की धारा 14 के तहत आधिकारियों पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ. साथ ही उन्होंने वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में अध्ययन रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट से साझा की है.
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