अगरतला: उत्तर पूर्वी भारत के त्रिपुरा राज्य की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायुक्त के कार्यालय के सामने हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के विरोध में और इस्कॉन सदस्य चिन्मय दास प्रभु की रिहाई की मांग को लेकर सोमवार को जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया. इस दौरान प्रदर्शनकारी परिसर के अंदर भी घुस आए और विरोध स्वरूप बांग्लादेश का झंडा फाड़ दिया और तोड़-फोड़ भी की.
इस विरोध प्रदर्शन में ‘हिंदू संघर्ष समिति’ के साथ ही विभिन्न वर्गों के लोगों ने भाग लिया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हिंदू नेता और इस्कॉन सदस्य चिन्मय दास प्रभु को अवैध रूप से गिरफ्तार किया है. उन्होंने उन्हें खाना भी नहीं दिया. यह पूरी तरह से अवैध और अमानवीय है. उन्होंने चिन्मय दास प्रभु की तत्काल रिहाई की मांग की. हिंदू होने के नाते, बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में मुसलमान तथा अन्य किसी भी अल्पसंख्यक पर कोई अत्याचार नहीं किया जाता है. वे यहां शांतिपूर्ण तरीके से रह रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हम यहां अपने मुस्लिम भाइयों और बहनों पर हमला नहीं कर रहे हैं. फिर वे हमारे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि जब तक यूनुस सरकार इस्कॉन नेता को रिहा नहीं करती, तब तक विरोध जारी रहेगा. विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए नेताओं ने कहा कि हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले काफी बढ़ गए हैं. उन्होंने कहा कि वे इस तरह के कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं.
उन्होंने कहा कि लंबे समय से और खासकर सरकार बदलने के बाद, ये हमले तेज हो गए हैं. आज हम विभिन्न संगठनों की ओर से यहां विरोध प्रदर्शन करने आए हैं. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भी बांग्लादेश सरकार को चेतावनी दी है. उन्होंने ने कहा कि मोहम्मद यूनुस हर हरकत के लिए और हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ लोगों को भड़काने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं.
ज्ञात हो कि त्रिपुरा बांग्लादेश के साथ 856 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है. यहां पड़ोसी देश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने मोहम्मद यूनुस के पुतले भी जलाए. त्रिपुरा में हर तरफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है.
हिन्दुस्थान समाचार
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