नई दिल्ली: प्राकृतिक तेल एवं गैस उत्खनन के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने सहित इस क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों के समाधान के उद्देश्य से लाये गये तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक 2024 को मंगलवार को राज्यसभा ने पारित कर दिया. इस विधेयक के पारित होने के बाद तेल और गैस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा. साथ पेट्रोलियम संचालन अब खनन कार्य से अलग हो जाएगा। इस विधेयक को अगस्त में राज्यसभा में पेश किया गया था.
This is an important legislation which will boost energy security and also contribute to a prosperous India. https://t.co/7DduJWrlU3
— Narendra Modi (@narendramodi) December 3, 2024
केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री ने चर्चा का दिया जवाब
हरदीप सिंह पुरी ने सदन में इस विधेयक पर हुई चर्चा का जबाव देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में बड़े निवेश की जरूरत होती है. गहरे समुद्र में एक तेल का कुंआ बनाने पर 10 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश करना पड़ता है. कंपनियों को इतना बड़ा निवेश करने के एवज में लाभ चाहिए होता है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक का मकसद इस क्षेत्र के लिए स्थिर कानून, विवाद निपटारा, एकल लीज आदि की वैधानिक व्यवस्था करना है. इससे किसी भी राज्य सरकार का अधिकार नहीं छीना जा रहा है, क्योंकि तेल क्षेत्र के आवंटन और उस पर रॉयल्टी का अधिकार राज्यों के पास ही है.
हरदीप सिंह पुरी ने चर्चा के दौरान सदस्यों द्वारा उठाये गये सवालों का जबाव देते हुए कहा कि देश में सात नहीं बल्कि 72 दिनों के लिए अपात तेल भंडार है. उन्होंने कहा कि फरवरी 2020 के बाद उत्पन्न वैश्विक स्थिति के कारण रूस से अधिक तेल खरीदा जा रहा है. पहले खाड़ी देशों से तेल का अधिक आयात किया जाता था लेकिन अभी इसमें कमी आयी है. हरदीप पुरी ने कहा कि तेल क्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक 2024 के अनुसार तेल क्षेत्र के विवाद के हल के लिए मध्यस्थता की व्यवस्था रहेगी और अधिकार क्षेत्र की व्यवस्था इसलिए है ताकि नियमों का उल्लंघन न हो. उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम लीज का जिम्मा आज भी राज्यों के पास ही रहेगा.
मंत्री ने कहा कि भारत तेजी से ऊर्जा क्षेत्र में भविष्य की ओर एक ऐतिहासिक कदम बढ़ा रहा है, क्योंकि आज तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) अधिनियम 1948 में ऐतिहासिक संशोधनों को राज्य सभा में सफलतापूर्वक पारित कर दिया गया. प्रस्तावित युगांतकारी संशोधन प्रधानमंत्री नरेन्द्र के नेतृत्व में भारत के ऊर्जा क्षेत्र को और मजबूत और आगे बढ़ाएंगे, तथा नीतिगत स्थिरता, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता, विस्तारित पट्टे अवधि आदि सुनिश्चित करेंगे. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के तहत खनन पट्टे की परिभाषा में संशोधन किया जा रहा है ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन अधिनियम के लागू होने से पहले दिए गए पट्टे खनन पट्टे कहलाएंगे. इसके बाद, उक्त शब्दावली का प्रयोग बंद कर दिया जाएगा और खंड (एफ) में परिभाषित पेट्रोलियम पट्टे शब्द का प्रयोग किया जाएगा.
हिन्दुस्थान समाचार
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