लखनऊ: बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ मंगलवार को उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में हिन्दू रक्षा समिति के आह्वान पर धार्मिक व सामाजिक संगठनों ने जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रही हिंसा तत्काल रोकने तथा चिन्मय कृष्ण दास को तत्काल कारावास से मुक्त करने की मांग की.
इस संबंध में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन भी प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपा गया. अयोध्या में जन आक्रोश रैली निकालने के बाद हिन्दुओं ने गुलाबबाड़ी मैदान में सभा की. सभा को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय व बावन मंदिर अयोध्या के महंत वल्लभ शरण महाराज समेत कई संत महंतों ने संबोधित किया. इस दौरान चंपत राय ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 1947 में भारत माता की बाहें काटी गयीं. विभाजन के दौरान दस लाख लोगों की हत्या हुई. लोगों को घर व्यापार समेट कर भारत आना पड़ा. यहां शरणार्थी माने गये. उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रही हिंसा रोकने तथा चिन्मय कृष्ण दास को रिहा करने की मांग उठाई.
बाराबंकी में विरोध सभा को संबोधित करते हुए सामाजिक समरसता गतिविधि के क्षेत्र संयोजक नरेन्द्र सिंह ने कहा कि बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं पर हमले, हत्या, लूट, आगजनी तथा महिलाओं पर हो रहे अमानवीय अत्याचार हिन्दू समाज के लिए अत्यंत पीड़ादायक एवं चिंताजनक है.
वहीं बहराइच में हिंदू रक्षा समिति के तत्वधान में हजारों की संख्या में हिन्दू समाज के लोगों ने जन आक्रोश रैली निकालकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिला अधिकारी को सौंपा. जन आक्रोश रैली से पूर्व गेंद घर मैदान में आयोजित सभा को श्री सिद्धनाथ पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर रवि गिरी जी महाराज व श्री सनातन धाम मंदिर हनुमंत पुरम नगरौर के पीठाधीश्वर स्वामी विष्णु देवाचार्य जी महाराज ने संबोधित किया.
सीतापुर में विरोध मार्च निकालते हुए लालबाग (अटल चौक) पर लोगों ने बांग्लादेश की सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की. इसके बाद नैमिषारण्य से आए स्वामी विद्यानंद सरस्वती ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज बांग्लादेश में हिंन्दुओं को मारा जा रहा है. मन्दिरों को तोड़ा जा रहा है, हिन्दुओं की बहन बेटियां सुरक्षित नहीं हैं. बांग्लादेश के संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के समय में हिन्दू आबादी लगभग 20 फीसदी के आसपास थी. 2022 में वहां की जनगणना के अनुसार हिन्दू आबादी महज 1 प्रतिशत के आसपास सिमट गई है. पिछले कई वर्षों से बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है.
इसके अलावा गोण्डा, लखीमपुर, बलरामपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, बलिया, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर व प्रयागराज में में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन हुआ. इसके अलावा बांदा, एटा, बागपत, मेरठ व आगरा में भी प्रदर्शन कर हिन्दू समाज ने चिन्मय कृष्ण दास को रिहा करने की मांग की.
रैली में शामिल लोग भारत हो या बांग्लादेश हम सब हिंदू एक हैं, हर हिंदू की यही पुकार नहीं सहेंगे अत्याचार. हिंदू का इतिहास है हिंदू सबके साथ है. हिंदू नरसंहार बंद करो बंद करो, बंद करो, तुम जितने मंदिर तोड़ोगे उतनी मानवता छोड़ोगे. मानवता करती आह्वान हिंदू जीवन जग की शान. हिंसा नहीं सहना है कट्टरपंथियों से लड़ना है, अब हिन्दू चुप नहीं रहेगा, हिंदू हिंसा नहीं सहेगा, हर हिन्दू ने ठाना है बांग्लादेश को कट्टरपंथ से बचाना है आदि स्लोगन लिखी हुई तख्तिया हाथ में लेकर चल रहे थे.
हिन्दुस्थान समाचार
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