महाराष्ट्र की सियासत में आज का दिन बेहद अहम है. आज बीजेपी के कद्दावर नेता देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. मुंबई के आजाद मैदान में शाम साढ़े 5 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा. इसमें पीएम मोदी के साथ कई एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होने वाले हैं. देवेंद्र के साथ एकनाथ शिंदे और अजीत पवार भी डिप्टी सीएम की शपथ लेंगे.
अजीत पवार महाराष्ट्र की सियासत में एक शख्सियत है जिनके नाम सबसे ज्यादा डिप्टी सीएम रहने का रिकॉर्ड है. वह अभी तक 4 मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में 5 बार डिप्टी सीएम रह चुके हैं और आज छठी बार डिप्टी सीएम बनने जा रहे हैं.
बुधवार को महायुती की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब पूछा गया कि शिंदे और पवार डिप्टी सीएम की शपथ लेगें क्या? तो एकनाथ शिंदे ने कहा, शाम तक रूकिए, सब पता चल जाएगा. लेकिन अजीत पवार ने कहा, शाम तक उनका समझ आएगा. मैं तो कल शपथ लेने वाला हूं. वहीं एकनाथ शिंदे ने मजाकिया अंदाज में कहा कि दादा को दोपहर-शाम- सुबह भी शपथ लेने का अनुभव है. इसी बात पर वहां मौजूद सभी लोग हंसने लगे.
कब-कब डिप्टी सीएम रहे अजीत पवार?
- अजीत पहली बार कांग्रेस के सीएम पृथ्वीराज चव्हाण के कार्यकाल में डिप्टी सीएम बने.
- वह 2010 से 2014 तक दो बार कांग्रेस सरकार में डिप्टी सीएम रहे.
- 2019 में अजीत पवार फडणवीस सरकार में तीसरी बार उपमुख्यमंत्री बने लेकिन अजीत के समर्थन वापस लेने के बाद सरकार 80 घंटों में गिर गई.
- चौथी बार उन्होंने उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार में बतौर डिप्टी सीएम शपथ ली.
- 2023 में वो शिंदे के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में उपमुख्यमंत्री पद पर कार्यरत हैं.
- अब छठी बार वो महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बनने जा रहे है.
डिप्टी सीएम के पद का संविधान में जिक्र नहीं
भले ही डिप्टी सीएम का पद संविधान में नहीं है लेकिन राजनीतिक दल सियासी समीकरण साधने के लिए उपमुख्यमंत्री बना देती है. अभी 14 राज्यों में 23 डिप्टी सीएम हैं. बता दें अनुग्रह नारायण सिन्हा को देश का पहला डिप्टी सीएम माना जाता है वह आजादी के बाद से जुलाई 1967 तक बिहार के डिप्टी सीएम रहे. उनके बाद कर्पूरी ठाकुर बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री थे.
बता दें डिप्टी सीएम को कोई सुविधाएं नहीं मिलती. उसे एक कैबिनेट मंत्री के तौर पर ही सैलरी और अन्य सुविधाएं मिलती है. पॉलिटिकल पार्टियां अपने सियासी समीकरण साधने और शासन के सुचारू रूप से चलाने के लिए डिप्टी सीएम बनाती है. किसी किसी राज्य में तो 2 डिप्टी सीएम तक बनाए जाते हैं.
डिप्टी सीएम को लेकर सप्रीम कोर्ट का रूख
डिप्टी सीएम मामले पर सुप्रीम कोर्ट भी अपना फैसला सुना चुका है. तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बैंच ने कहा था कि इससे किसी प्रकार से संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं होता है. शीर्ष अदालत ने कहा था डिप्टी सीएम को कोई साख सुविधा या ज्यादा तनख्वाह नहीं मिलती. डिप्टी सीएम का पद संविधान का उल्लंघन नहीं है.
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