नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी59 रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रोबा-3 मिशन को लेकर इसने शाम 4.04 बजे उड़ान भरी. बता दें इसरो इस मिशन को बुधवार की शाम 4 बजकर 8 मिनट पर लॉन्च करने वाला था, लेकिन प्रोपल्शन सिस्टम में आई खराबी के कारण इसकी लॉन्चिंग को एक दिन के लिए टाल दिया गया था.
#WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO) launches PSLV-C59/PROBA-3 mission from Sriharikota, Andhra Pradesh
PSLV-C59 vehicle is carrying the Proba-3 spacecraft into a highly elliptical orbit as a Dedicated commercial mission of NewSpace India Limited (NSIL)
(Visuals:… pic.twitter.com/WU4u8caPZO
— ANI (@ANI) December 5, 2024
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस मिशन की सफलता की जानकारी दी. इसरो ने लिखा, “PSLV-C59/PROBA-3 मिशन NSIL, ISRO और ESA टीमों के समर्पण को दर्शाता है. यह उपलब्धि वैश्विक अंतरिक्ष नवाचार को सक्षम करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है. हम साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग में आगे बढ़ना जारी रखेंगे.”
👏 Celebrating Success!
The PSLV-C59/PROBA-3 Mission reflects the dedication of NSIL, ISRO and ESA teams. This achievement highlights India’s critical role in enabling global space innovation.
🌍 Together, we continue building bridges in international space collaboration! 🚀✨…
— ISRO (@isro) December 5, 2024
एनएसआईएल के नेतृत्व में और इसरो द्वारा निष्पादित यह मिशन ईएसए के प्रोबा-3 उपग्रहों को एक अनोखी कक्षा में प्रक्षेपित करेगा, जो वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत के बढ़ते योगदान को दर्शाता है. प्रोबा-3 दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग सैटेलाइट है. यानि यहां एक नहीं दो सैटेलाइट लॉन्च होंगे. पहला कोरोनोग्राफ अंतरिक्ष यान और दूसरा है ऑक्लटर स्पेसक्राफ्ट . इस मिशन में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)-सी59 लगभग 550 किलोग्राम वजन वाले उपग्रहों को अत्यधिक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में ले जाएगा. प्रोबा-3 मिशन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) द्वारा एक “इन-ऑर्बिट डेमोस्ट्रेशन (आईओडी) मिशन” है.
ईएसए ने कहा कि ‘प्रोबा-3’ सूर्य के परिमंडल की सबसे बाहरी और सबसे गर्म परत का अध्ययन करेगा. यह मिशन पता लगाएगा कि सूर्य का बाहरी हिस्सा उसकी सतह से भी गर्म क्यों होता है. यह सोलर हवाओं और कोरोनल मास इजेक्शन की स्टडी भी करेगा.
PSLV-C59, PROBA-3 मिशन पर पूर्व वैज्ञानिक और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के प्रोफेसर आरसी कपूर ने जानकारी देते हुए बताया कि “यह इसरो के लिए एक बड़ी चुनौती थी. यह कक्षा में एक नई तकनीक का प्रदर्शन है. उपग्रह जोड़ी को उच्च परिशुद्धता के साथ स्थापित किया गया है जिसकी हम पहले कल्पना भी नहीं कर सकते थे. उन्होंने बताया कि PROBA-3, जो यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का उपग्रह है, के दो भाग हैं. एक हिस्सा कोरोनोग्राफ है, जो सूर्य के कोरोना की तस्वीरें लेगा और दूसरा हिस्सा ऑकुल्टर है, एक 1.4 मीटर की डिस्क जो 150 मीटर की दूरी से कोरोनोग्राफ के लेंस पर 8 सेमी की छवि बनाएगी. मूल रूप से, यह वही कार्य कर रहा है जो चंद्रमा ग्रहण में करता है. इसलिए, हम एक कृत्रिम ग्रहण बना रहे हैं जो हमें सूर्य के वायुमंडल के सबसे बाहरी हिस्से को देखने की अनुमति देता है. आमतौर पर हम इस वातावरण को पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान ही देख पाते हैं. इस उपग्रह की पृथ्वी से कक्षा 600 किमी से 60,530 किमी है. फॉर्मेशन-फ्लाइंग में कोरोनोग्राफ पृथ्वी की ओर होगा और गूढ़ यंत्र सूर्य की ओर होगा. यह 1.1 सौर त्रिज्या तक सूर्य के बाहरी वातावरण का निरीक्षण कर सकता है. लगभग 19 घंटे की अपनी कक्षा में, कोरोना का लगभग 6 घंटे तक अध्ययन किया जा सकता है.
#WATCH | BENGALURU | On the PSLV-C59, PROBA-3 Mission, Former Scientist & Professor at the Indian Institute of Astrophysics, RC Kapoor says, “This was a big challenge for ISRO. This is a demonstration of a new technology in orbit. The satellite pair has been placed with high… pic.twitter.com/RzbVqHuQf6
— ANI (@ANI) December 5, 2024
भारत की कर रहा सूर्य का अध्ययन
साल 2023 में भारत ने भी मिशन आदित्य एल-1 को L-1 प्वाइंट पर पहुंचाया था. इस मिशन का मकसद सूर्य के वातावरण को समझना है. साथ ही उससे निकलने वाली गर्म हवा और कोरोनल मास इजेक्शन का पता लगाना है.
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