पेरिस: फ्रांस के प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर की सरकार नेशनल असेंबली में विश्वास मत में हार गई. इससे देश में राजनीतिक संकट गहरा गया है. छह दशक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ. फ्रांस के समाचार पत्र ‘ली मॉन्डे’ की खबर में कहा गया है कि सांसदों ने सरकार को गिरा दिया. अब क्या होता है? यह देखना दिलचस्प होगा. अमेरिकी समाचार पत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी खबर में कहा कि इस घटनाक्रम से फ्रांस राजनीतिक उथल-पुथल के चक्र में फंस गया. सांसदों ने प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर और उनके मंत्रिमंडल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया. संसद के 577 वाले निचले सदन (नेशनल असेंबली) के 331 सदस्यों ने बार्नियर की मध्यमार्गी अल्पसंख्यक सरकार को हटाने के लिए मतदान किया. इसी के साथ बार्नियर की तीन महीने पुरानी सरकार फ्रांस के पांचवें गणराज्य के इतिहास में सबसे कम कार्यकाल वाली सरकार बन गई. अब बार्नियर के जल्द ही इस्तीफा देने की उम्मीद है.
बजट विवादों के कारण ऐतिहासिक अविश्वास मत में प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर की सरकार को हटाने के लिए धुर दक्षिणपंथी और वामपंथी ताकतों ने हाथ मिला लिया. फ्रांस के समाचार पत्र ‘ली मॉन्डे’ के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 50 के अनुसार, अब प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपना चाहिए. हालांकि उनके कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में बने रहने की संभावना है.
क्या बोले राष्ट्रपति मैक्रों?
इस घटनाक्रम के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देश को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि वो 2027 तक अपना शेष कार्यकाल पूरा करेंगे. वहीं उन्होंने फ्रांसीसी नागरिक को अपनी प्राथमिकता बताया. मैक्रों ने फ्रांस की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि आपने मुझे लोकतांत्रिक तरीके चुना है. मैं पांच का कार्यकाल पूरा करूंगा. मैक्रों ने कहा, मेरी जिम्मेदारी स्थिर सरकार, संस्थाओं का सुचारु रूप से कामकाज, देश की स्वतंत्रता और आप सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. चाहे कोविड महामारी हो या सामाजिक संकट हर कदम पर शुरू से मैं आपके साथ हूं वहीं उन्होंने जल्द ही नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आश्वासन भी दिया.
हिन्दुस्थान समाचार
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