हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार जल्द ही विश्व की सबसे भव्य और अनूठी आध्यात्मिक धरोहर का केंद्र बनने जा रही है. यहां 51 शक्तिपीठ और द्वादश ज्योतिर्लिंग एक ही स्थान पर स्थापित की योजना है, जो दुनियाभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का अभूतपूर्व संगम होगा. लगभग 35 करोड़ की लागत से बनने वाला यह मंदिर भारतीय संस्कृति और धार्मिक एकता का ऐसा प्रतीक होगा, जो संपूर्ण विश्व में अपनी मिसाल कायम करेगा. रविवार को हरिद्वार के श्यामपुर और कांगड़ी क्षेत्र में संत ललितानंद गिरि महाराज व समाजसेवी देवराज पवार ने भूमि पूजन कर इस अद्वितीय मंदिर की आधारशिला रखी. भूमि पूजन के अवसर पर शक्त अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पीठाधीश्वर श्यामा नंद महाराज भी उपस्थित रहे. इस परियोजना की कुल लागत 35 करोड़ आंकी गई है, जिसे जनसहयोग और श्रद्धालुओं के दान से पूरा किया जाएगा. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि देवी सती के 51 अंगों से जुड़े शक्तिपीठ, जो भारत और अन्य देशों में स्थित हैं, यहां एक ही स्थान पर स्थापित होंगे. इस मंदिर में भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी इसी मंदिर में हो सकेंगी. पूरी दुनिया में ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहां देवी के सभी शक्तिपीठ और भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग एक साथ स्थापित हों.
समर्पण और सहयोग की अपीलआचार्य ललितानंद ने इस मंदिर निर्माण को जनसहयोग पर आधारित बताया और देशवासियों से इसे साकार करने में सहयोग करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि यह मंदिर न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक होगा, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का वैश्विक मंच बनेगा.
आध्यात्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावायह परियोजना हरिद्वार को धार्मिक पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करेगी. शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंगों का एक स्थान पर होना तीर्थयात्रियों को अत्यधिक आकर्षित करेगा, जिससे न केवल धार्मिक बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा। मंदिर निर्माण कार्य शीघ्र ही प्रारंभ होगा.
हिन्दुस्थान समाचार
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