नई दिल्ली: शंभू बॉर्डर खोलने की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका देते हुए इस मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. न्यायालय की तरफ से कहा गया इसी मुद्दे से जुड़ी जनहित याचिका उनके समक्ष लंबित है ऐसे में वो एक ही मुद्दे से जुड़ी याचिकाओं की अलग-अलग सुनवाई नहीं कर सकते हैं. कोर्ट की तरफ से किसानों की इस याचिका को खारिज किया गया है.
बता दें कि इस याचिका में पंजाब के राष्ट्रीय राजमार्गों जहां पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं वहां अवरोधों को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की गई थी. इसके पीछे का उद्देश्य यातायात को सुगमता और सुव्यवस्थित करने की बात की थी. इसे कोर्ट ने खारिज करते कोर्ट ने हुए कहा कि ऐसी ही एक और याचिका पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और ऐसे में एक ही प्रकार की याचिकाओं के लिए कोर्ट अगल-अलग सुनवाई नहीं कर सकती है.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की शिकायतों पर सभी सकारात्मक कदम उठाये हैं. हम चाहते हैं कि यातायात में लोगों को असुविधा न हो. हमें 9 घंटे लग जाते हैं. तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें सब कुछ मालूम है. ऐसा नहीं है कि केवल याचिकाकर्ता ही अकेला है, जो समाज का जागरूक व्यक्ति है और बाकी लोगों को पता नहीं है. आप एक ही किस्म की याचिका दोबारा दाखिल न करें.
याचिका में कहा गया था कि इस तरह हाई-वे को अवरुद्ध करना लोगों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है और नेशनल हाई-वे एक्ट और भारतीय न्याय संहिता के तहत भी अपराध है. याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को प्रदर्शनकारी किसानों को हाई-वे से हटाने का निर्देश दे.
उल्लेखनीय है कि दिल्ली- हरियाणा के शंभू बॉर्डर से 8 दिसंबर को 101 किसानों का जत्था दिल्ली कूच के इरादे से आगे बढ़ा था, लेकिन हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने बलपूर्वक राेक दिया था. इसके बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली के लिए पैदल मार्च स्थगित कर दिया.
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