21वीं सदी का दूसरा दशक अरब देशों के लिए उथल-पुथल वाला रहा. 17 दिसंबर 2010 को ट्यूनेशिया के एक सब्जी वाले ने आत्मदाह कर लिया, जिसके कारण कई विरोध प्रदर्शन हुए. जिससे अंततः पूरे क्षेत्र में व्यापक राजनीतिक संघर्ष और परिवर्तन हुआ. विद्रोह की ये आग ट्यूनेशिया से निकलकर मिस्त्र, लीबिया, यमन और सीरिया सहित कई देशों में फैल गई. विद्रोह की इसी ज्वाला को व्यापक रूप से ‘ अरब स्प्रिंग’ या जैस्मीन क्रांति कहा जाता है. यही वो क्रांति है जिसने अरब के बड़े और शक्तिशाली तानाशाहों का सिंहासन हिला दिया और उन्हें सत्ता की गद्दी से उतार फेंका था.
मिस्र के होस्नी मुकारक की 30 साल की सत्ता गई
पहले बात करते हैं मिस्र के तानाशाह होस्नी मुबारक की. होस्नी मुबारक ने 1981 से 2011 तक यानि कि 30 सालों तक मिस्र की सत्ता भोगी लेकिन विद्रोह की चिंगारी ने होस्नी मुबारक को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था.
बात जनवरी 2011 की है. जब मिस्र की राजधानी काहिरा के तहरीर स्क्वायर में हजारों की संख्या में लोगों ने ने इठकट्ठा हो कर प्रदर्शन किया. यह सभी देश में राजनीतिक सुधार चाहते थे और मुकारक का इस्तीफा उनकी पहली शर्त थी. उस समय तक सोशल मीडिया का युग शुरू हो गया था. आंदोलन को डिजिटल युग का खूब साथ मिला.
तानाशाह होस्नी मुबारक ने विद्रोही की आग को दबाने की पूरी कोशिश की लेकिन जनता के भारी समर्थन और वैश्विक दबाव के आगे उसकी रणनीति काम नहीं कर सकी. 18 दिनों तक हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद आखिरकार मुबारक को सत्ता की कुर्सी छोड़नी ही पड़ी औऱ मिस्र की सत्ता सेना के हाथ में चली गई. बता दें इस आंदोलन में 239 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी.
लीबिया के क्रूर तानाशाह को भी किया बेदखल
ट्यूनेशिया से उठी विद्रोह की लपटे सिर्फ मिस्र तक सीमित नहीं रही, इसने लीबिया के क्रूर तानाशाह मुअम्मर अल गद्दाफी से उसकी गद्दी भी छीन ली. साल 2011 में विद्रोहियों ने लीबिया की राजधानी त्रिपोली मे गद्दाफी के बाब अल-अजीजिया पर कब्जा कर लिया. विद्रोहियों ने महल मे घुसकर जमकर लूटपाट भी की और गद्दाफी की मूर्तियां भी तोड़ दी. बता दें गद्दाफी ने 42 सालों तक राज किया. उसने महज 27 साल की उम्र में ही तख्तापलट कर दिया था. बताया जाता है कि गद्दाफी काफी क्रूर तानाशाह था. वहां के लोग उसे सनकी भी कहते थे. कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब गद्दाफी को लोग मार रहे थे तो वो उनसे गोली ना मारने की गुहार लगा रहा था और जब उसकी मौत की खबर आई तो लोगों ने जश्न मनाया था.
गद्दाफी को गद्दी से हटाने का मामला इंटरनेशनल कोर्ट में भी पहुंचा. कोर्ट ने अत्याचार करने के लिए गद्दाफी, उसके बेटे सैफ अल इस्लाम और उसके बहनोई के खिलाफ वारंट जारी किया था. हाल ही में जुलाई में दुनिया के 30 देशों ने लीबिया में विद्रोहियों की सरकार को मान्यता दे दी है.
सीरिया में बशर का 24 साल का शासन खत्म
अब इस कड़ी में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का नाम भी जुड़ गया है. यहां विद्रोहियों ने 24 साल के बशर के शासन को समाप्त कर राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति बशर अल असद ने अपने परिवार सहित रूस में राजनीतिक शरण ले ली है. अब सीरिया के प्रधानमंत्री ने विद्रोहियों के नाम वीडियो जारी कर कहा है कि वो देश में ही रहेंगे, और सीरिया के लोग जिसे भी चुनेंगे उसके साथ मिलकर सरकार बनाएंगे.
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