नई दिल्ली: गगनयान मिशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारतीय नौसेना के साथ ‘वेल डेक’ रिकवरी ऑपरेशन ट्रायल किये हैं. क्रू मॉड्यूल के वेल डेक रिकवरी ट्रायल पूर्वी नौसेना कमान में विशाखापत्तनम के तट पर वेल डेक शिप का उपयोग करके किए गए. गगनयान के लिए चल रही तैयारियों के तहत अभी और रिकवरी ट्रायल होंगे. इस ट्रायल में रिकवरी प्रक्रियाओं को पूर्ण करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो मिशन के सुरक्षा प्रोटोकॉल का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
भारत का लक्ष्य 2025 तक 400 किमी. ऊपर अंतरिक्ष यात्री भेजने का है. इसरो के ‘मिशन गगनयान’ की क्रू रिकवरी टीम के पहले बैच को कोच्चि में नौसेना की जल जीवन रक्षा प्रशिक्षण सुविधा (डब्ल्यूएसटीएफ) में नौसेना के गोताखोरों और समुद्री कमांडो की एक टीम ने विभिन्न समुद्री परिस्थितियों में प्रशिक्षित किया है. इसरो के अनुसार गगनयान परियोजना में तीन सदस्यों के एक दल को तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किमी. की कक्षा में लॉन्च करके और भारतीय समुद्री जल में उतरा जाएगा. इसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है. यह प्रशिक्षित टीम इसरो के ‘मिशन गगनयान’ की लॉन्चिंग टीम में शामिल होगी.
इसरो ने मंगलवार को बताया कि भारतीय नौसेना के साथ मिलकर गगनयान के लिए महत्वपूर्ण ‘वेल डेक’ रिकवरी ट्रायल 06 दिसंबर को किये गए, जो भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम में एक मील का पत्थर है. इसरो के अनुसार एक अच्छी डेक वाला जहाज अपने डेक पर पानी भरने की सुविधा देता है, जिससे नावों, लैंडिंग क्राफ्ट और अंतरिक्ष यान की सुरक्षित डॉकिंग और रिकवरी संभव हो जाती है. इस व्यापक प्रक्रिया में रिकवरी बॉय को जोड़ने, क्रू मॉड्यूल को खींचने, वेल डेक जहाज में प्रवेश करने, क्रू मॉड्यूल की सटीक स्थिति निर्धारित करने तथा वेल डेक से पानी निकालने के परीक्षण शामिल थे.
इसरो ने कहा कि इस ट्रायल का प्राथमिक उद्देश्य रिकवरी समय को कम करना और क्रू मॉड्यूल के समुद्र में उतरने के बाद चालक दल के लिए कम से कम परेशानी न होने देना है. इन जटिल युद्धाभ्यासों का अभ्यास करके इसरो और भारतीय नौसेना का लक्ष्य सामान्य और अप्रत्याशित दोनों स्थितियों के लिए अपने मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को ठीक करना है. इसरो ने कहा कि गगनयान के लिए चल रही तैयारियों के तहत रिकवरी ट्रायल जारी रहेंगे. इसरो और नौसेना ने मई, 2023 में कोच्चि के वाटर सर्वाइवल ट्रेनिंग फैसिलिटी आईएनएस गरुड़ में गगनयान रिकवरी ट्रेनिंग प्लान जारी किया था.
ऑपरेशन में वेल डेक शिप का उपयोग करके क्रू मॉड्यूल के लिए रिकवरी प्रक्रियाओं को पूर्ण करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो मिशन के सुरक्षा प्रोटोकॉल का महत्वपूर्ण हिस्सा है. गगनयान मिशन के लिए यह तकनीक अंतरिक्ष यात्रियों की अंतरिक्ष मिशन के बाद उनकी त्वरित और आरामदायक रिकवरी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है. परीक्षणों के दौरान भारतीय नौसेना और इसरो द्वारा क्रू मॉड्यूल की वेल डेक रिकवरी के लिए संचालन का क्रम चलाया गया। इस क्रम में रिकवरी बॉय को जोड़ना, टो करना, वेल डेक शिप में प्रवेश करना, फिक्सचर पर सीएम की स्थिति और वेल डेक से पानी निकालना शामिल है.
भारतीय नौसेना के नेतृत्व में इस ऑपरेशन में नौसेना के गोताखोर, समुद्री कमांडोमार्कोस, चिकित्सा विशेषज्ञ, तकनीशियन और नौसेना एविएटर शामिल हैं। दरअसल, मिशन के अंत में जब क्रू मॉड्यूल समुद्र में उतरता है, तो चालक दल को कम से कम संभव समय में आसानी के साथ रिकवर करना होता है। पसंदीदा विकल्पों में से एक क्रू मॉड्यूल को चालक दल के साथ जहाज के वेल डेक के अंदर ले जाना होता है, जहां चालक दल आराम से क्रू मॉड्यूल से बाहर आ सकता है. इस दौरान जहाज में वेल डेक पानी से भर सकता है, ताकि नावों, लैंडिंग क्राफ्ट, रिकवर किए गए अंतरिक्ष यान को जहाज के अंदर डॉक करने के लिए अंदर ले जाया जा सके. इसीलिए वेल डेक रिकवरी करने के लिए यह परीक्षण नकली क्रू मॉड्यूल मॉक-अप का उपयोग करके किए गए.
हिन्दुस्थान समाचार
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