टोरंटो: बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार से कनाडा में रह रहे भारतीय चिंतित और गुस्से में हैं. उन्होंने आज टोरंटो में बांग्लादेश के वाणिज्य दूतावास के बाहर प्रदर्शन कर हिंदुओं से एकजुटता का आह्वान किया. कनाडा में रहने वाले हिंदुओं के संगठन ‘कनाडा हिंदू वॉलंटियर्स’ ने एक्स हैंडल पर प्रदर्शन का ब्यौरा देते हुए फोटो कोलाज जारी किया है.
"Hindu Lives Matter": Canadian Hindus protest outside Bangladeshi Consulate in Toronto
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— ANI Digital (@ani_digital) December 11, 2024
‘कनाडा हिंदू वॉलंटियर्स’ के एक्स हैंडल पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, बांग्लादेश के कट्टर इस्लामी शासन में हिंदुओं के नरसंहार के विरोध में आज कनाडाई हिंदू समुदाय के सदस्य टोरंटो में बांग्लादेश के वाणिज्य दूतावास के बाहर एकत्र हुए. हिंदू समुदाय के सदस्यों ने प्रदर्शन करते हुए सभी क्षेत्रों के लोगों से न्याय और हिंसा के इस क्रूर चक्र के अंत की लड़ाई में एकजुट होने का आह्वान किया. संगठन ने कहा कि बांग्लादेश में कट्टर इस्लामी मोहम्मद यूनुस के शासन में हिंदुओं को अभूतपूर्व अत्याचारों का सामना करना पड़ रहा है. धार्मिक आस्था पर प्रहार कर प्राचीन मंदिरों को अपवित्र और नष्ट किया जा रहा है. कई पुजारियों की हत्या कर दी गई या उन्हें जेल में डाल दिया गया. नौकरीपेशा और कामकाजी हिंदुओं को जबरिया बेरोजगार कर आजीविका का साधन छीना जा रहा है. हिंदुओं को लूटा जा रहा है. उनके परिवार की महिलाओं के साथ बलात्कार किया जा रहा है.
संगठन ने इस पर दुनिया के तमाशबीन बने रहने पर चिंता जताई है. ‘कनाडा हिंदू वॉलंटियर्स’ का मानना है कि यह सिर्फ एक संकट नहीं है. यह एक समुदाय, एक संस्कृति और एक आस्था को मिटाने का एक व्यवस्थित अभियान है. बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों को दिया गया दर्द और पीड़ा मानवता की अंतरात्मा पर एक दाग है. संगठन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया है साथ ही सभी कनाडाई लोगों से अपने निर्वाचित अधिकारियों को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर आवाज उठाने का आग्रह किया है. लोगों से कहा गया है कि इस मुद्दे को कनाडा की संसद में उठाने के लिए वह अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों पर जोर डालें. हिंदू संगठन ने कहा कि कनाडा को राजनयिक दबाव और प्रतिबंधों के माध्यम से बांग्लादेशी शासन को जवाबदेह ठहराकर कड़ा स्टैंड लेना चाहिए. बांग्लादेश में हिंदुओं की पीड़ा कोई अकेली त्रासदी नहीं है. यह एक गहरा मानवाधिकार संकट है.
हिन्दुस्थान समाचार
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