महाराष्ट्र के ठाणे जिले में मौजूद ऐतिहासिक दुर्गाडी किला लंबे समय विवाद का विषय रहा है. यहां 48 सालों से मंदिर व मस्जिद होने को लेकर विवाद चलता आ रहा था जिस पर अब न्यायालय की तरफ से बड़ा फैसला सुनाया गया है. सत्र न्यायालय की तरफ से फैसला सुनाते हुए कहा गया कि यहाँ पर मंदिर स्थित था न की मस्जिद. इसे लेकर हिंदू पक्ष में उत्साह का माहौल है.
बता दें कि यह पूरा मामला आज का नहीं बल्कि साल 1971 में शुरू हुआ जब वहां के जिला कलेक्टर ने दुर्गाडी किले में मंदिर होने की बात कही थी. इसके बाद इस बात को लेकर घमासान छिड़ गया कि वहां पर मंदिर है या फिर मस्जिद. देखते ही देखते यह विवाद अदालत तक जा पहुंचा और हिंदू मंच के अध्यक्ष व याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया किले और इसके खंबों की साज सजावट वहां पर मंदिर होने का सबूत देती हैं.
कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि वहां एक मंदिर स्थित था साथ ही 1971 में कलेक्टर की बात को भी सही बताया गया. इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष की अपील (इसे वक्फ बोर्ड को स्थानांतरित कर दिया जाए) को भी खारिज कर दिया गया. हालांकि यह जमीन सरकार के स्वामित्व में आती है इसलिए वहां पर किला ही संपत्ति के तौर पर बना रहेगा.
इस मामले में हिंदू पक्ष की तरफ से दलील दी गई थी कि वहां पर मंदिर की खिड़कियां और मूर्तियों को रखने के लिए चबूतरा भी मौजूद है वहीं, मुस्लिम पक्ष की तरफ से इसे मस्जिद बताया गया जिसका उसके यहां काफी धार्मिक महत्व है. साल 1975-76 में इससे जुड़ी याचिका को दायर किया गया था इसे बाद में कल्याण कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया. 1994 में किले की मरम्मत के लिए भी अदालत की तरफ से मंजूरी दी गई थी.
सरकारी वकील सचिन कु्लकर्णी की तरफ से बताया गया कि दुर्गाणी किले की प्राचीन वास्तुकला को संरक्षित रखने के लिए इसके मरम्मत को प्राथमिकता दी गई है. इसके कई हिस्से जीर्ण हो चुके हैं जिसे सरकार संरक्षित करने का प्रयास करेगी. अदालत के इस फैसले को न केवल ऐतिहासिक माना जा रहा है बल्कि लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई के अंत को तौर पर भी देखा जा रहा है. इसे मंदिर घोषित होने के बाद हिंदू पक्ष में उत्साह है और इसके संरक्षण की बात पर भी जोर दिया गया है.
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