नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने देश में आम चुनाव और सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पेश किया. इस दौरान व्हिप जारी होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 20 से ज्यादा सांसद लोकसभा से नदारद रहे. व्हिप जारी होने के बावजूद संसद में नहीं आने के लिए इन सांसदों को कीमत चुकानी पड़ेगी. भाजपा लोकसभा में गैरहाजिर उन सभी सांसदों को नोटिस भेजेगी.
नियमों के अनुसार पार्टी लोकसभा में गैरहाजिर रहे उन सभी सांसदों से उनके अनुपस्थित रहने का कारण पूछेगी. नियमों के अनुसार अगर किसी वजह से संसद सभा में नहीं उपस्थित हो पा रहा तो उसे मुख्य सचेतक को पहले जानकारी देनी पड़ती है लेकिन मंगलवार को भाजपा के 20 से ज्यादा सांसद नहीं पहुंचे.
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने सोमवार को अपने सांसदों के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी कर सभी सदन में मौजूद रहने के लिए कहा था. इससे पहले लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक पर शुरुआती चर्चा के बाद विपक्ष ने वोट विभाजन की मांग की थी. इस विधेयक के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 सदस्यों ने मतदान किया.
नियमों के मुताबिक, संविधान में प्रस्तावित इस संशोधन को लोकसभा से पास करने के लिए वहां मौजूद और मतदान करने वाले दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है.
क्या होता है व्हिप?
पार्टी का मुख्य सचेतक यानी चीफ व्हिप या मार्ग दिखाने वाला अनुशासन को बनाए रखने के लिए व्हिप जारी करता है. इसका मतलब है कि पार्टी के सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहना है और उन्हें एकजुट होकर पार्टी लाइन पर वोट करना है.
हिन्दुस्थान समाचार
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