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दिल्ली की वो 11 सीटें जहां कभी नहीं खिला कमल, क्या बीजेपी इस बार बदल पाएगी समीकरण?

दिल्ली की 11 सीटें तो ऐसी है. जहां बीजेपी आजतक अपना खाता तक नहीं खोल पाई है. इन 11 सीटों में से 5 सीटें दलित बहुल हैं. बीजेपी के पास इस चुनाव में इन 11 सीटों पर जीतकर मिथक तोड़ने का सुनहरा अवसर है.

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Dec 20, 2024, 08:17 pm IST
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025, इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए अग्निपरीक्षा की तरह है क्योंकि पार्टी इस बार किसी भी हाल में 26 साल पुराना वनवास खत्म करना चाहती है. बता दें बीजेपी ने साल 1993 में पहली बार दिल्ली में सरकार बनाई थी. 5 साल के कार्यकाल में बीजेपी को तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे. इसके बाद हुए 1998 के चुनाव में बीजेपी हार गई थी. तभी से पार्टी, दिल्ली की सत्ता से दूर है. हालांकि एमसीडी और लोकसभा में उसने इस दरमियान जीत दर्ज की लेकिन दिल्ली विधानसभा में उसे विपक्ष की भूमिका में रहना पड़ता है. 2013 में बीजेपी को 32 सीटें मिली थी वो बहुमत से महज 4 सीटें दूर थी लेकिन सरकार बनाने में असफल रही. दिल्ली की 11 सीटें तो ऐसी है. जहां बीजेपी आजतक अपना खाता तक नहीं खोल पाई है. इन 11 सीटों में से 5 सीटें दलित बहुल हैं. बीजेपी के पास इस चुनाव में इन 11 सीटों पर जीतकर मिथक तोड़ने का सुनहरा अवसर है. उन्हीं सीटों के बारे में आपको बताते हैं.

1. कोंडली- यह सीट पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में आती है. यह दलित बहुल्य सीट है. 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई थी. यहां 2008 में कांग्रेस के अमरीश गौतम जीते थे. तो 2013, 15 और 20 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीतते रहे हैं.

2. सीलमपुर- उत्तर-पूर्व दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में स्थित यह सीट मुस्लिम बहुल सीट है. यहां 1993 में पहली बार चुनाव हुए थे. यहां से 5 बार चौधरी मतीन अहमद ही जीतते रहे हैं. वहीं 2015, 2020 में आप ने यहां से बाजी मारी है. बीजेपी इस सीट पर एक बार भी सफल नहीं हो पाई है.

3. ओखला- यह सीट भी मुस्लिम बहुल सीट है. 1993 से अबतक बीजेपी इस सीट को नहीं निकाल सकी है. यहां से जनता दल, कांग्रेस, आरजेडी और आप ही जीतती रही है. यह वही सीट है जहां से अभी अमानतुल्लाह खान विधायक हैं. हालांकि बीजेपी यहां दूसरे नंबर की पार्टी हैं.

4. अंबेडकर नगर- इस सीट पर 1993 में पहली बार चुनाव हुए थे. यह सीट दलितों के रिजर्व है. इस सीट पर 4 बार कांग्रेस को विजय मिली है. वहीं 2013, 15, 20 में आम आदमी पार्टी यहां से जीतती रही है. बीजेपी यहां दूसरे नंबर की पार्टी है.

5. देवली- यह सीट भी दलित आरक्षित सीट है. 2008 में अस्तित्व में आई सीट पर पहली बार अरविंदर सिंह लवली को विजय मिली थी. इसके बाद से यहां आम आदमी पार्टी अपना परचम लहरा रही है.

6. जंगपुरा- यह सीट इस बार हाईप्रोफाइल सीट बनी हुई है क्योंकि यहां से आप के मनीष सिसोदिया चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर बीजेपी को सफलता नहीं मिल पाई है. 1993 से 2008 तक कांग्रेस और 2013, 2015, 2020 में आम आदमी पार्टी यहां से चुनाव जीतती रही है.

7. विकासपुरी- विकासपुरी क्षेत्र में 2008 में कांग्रेस चुनाव जीती थी. इसके बाद आम आदमी पार्टी का इस सीट पर कब्जा है. बीजेपी की बात करें तो इस क्षेत्र में वह दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी है.

8. बल्लीमारान- 1993 से अबतक इस सीट पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की कब्जा है. इस सीट से दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन विधायक है. बीजेपी के लिए मुस्लिम बहुल इस सीट को जीतना काफी टेढ़ी खीर है.

9. मटिया महल- मध्य दिल्ली की यह सीट भी मुस्लिम बहुल सीट है.1993 से इस पर जेडीएस, जेडीयू, एलजेपू और आम आदमी पार्टी ही जीतते रहे है. बीजेपी 26 सालों से इस सीट को जीत नहीं पाई है.

10. सुल्तानपुर माजरा- उत्तर-पश्चिम दिल्ली की यह सीट दलितों के आरक्षित है. यहां 1993 से 2013 तक कांग्रेस पार्टी का विधायक था लेकिन 2015 और 2020 इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपना परचम फहराया. बीजेपी के लिए यह सीट जीत के हमेशा दूर रही है.

11. मंगोलपुरी- दिल्ली विधानसभा में डिप्टी स्पीकर राखी बिडलान इसी सीट से विधायक हैं. यह सीट भी दलित आरक्षित सीट है. 1993 से अबतक यहां बीजेपी का खाता नहीं खुल सका है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से यहां विधायक रहे हैं.

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ये भी पढ़ें- ‘अपनी सार्वजनिक टिप्पणियों के प्रति सचेत रहें’ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को भारत की दो टूक

Tags: BJPDelhi Election 2025Delhi Assembly ElectionBhartiya Janta Party
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