साल 2024 खत्म होने में बस कुछ ही दिन बचे हैं. नये साल का हर कोई हाथ फैलाकर स्वागत कर रहा है लेकिन 2024 की यादों को भी भुलाया नहीं जा सकता है. इस साल चुनावी राजनीति में कई धमाके हुए हैं. जिसने देश की सियासत में पॉलिटिकल पंडितों की सारी भविष्यवाणी धरी की धरी रह गई. सारे एक्जिट पोल फेल हो गए. जनता की नब्ज को पढ़ने भी सारे एक्सपर्ट फेल हो गए. लोकसभा चुनाव से लेकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव तक सारे समीकरण ही बदल गए.
लोकसभा चुनाव 2024- इस साल सबसे पहले 18वीं लोकसभा के चुनाव हुए. 7 चरणों में संपन्न हुए चुनाव के नतीजे 4 जून को रिलीज हुए तो इस रिजल्ट ने सबको हैरान कर दिया. 400 पार का नारा लगाने वाली बीजेपी बहुमत का आंकड़ा तक नहीं छू पाई और 240 सीटों पर ही सिमट गई. हालांकि सहयोगी दलों के सहयोग से देश में एनडीए की सरकार बनी. देश की सियासत में काफी अरसे बाद फिर एक बार गठबंधन की राजनीति की शुरू हुई. जेडीयू, टीडीपी की बैसाखी के सहारे नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने.
वहीं इस विपक्षी दल इंडिया को इस बार पहले से कहीं ज्यादा बढ़त मिली लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस शतक लगाने से चूक गई और 99 सीटों के साथ सदन में दूसरी सबसे पार्टी बनकर उभरी, वहीं अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश की 37 सीटें जीतकर लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई. सपा ने ही यूपी में बीजेपी का विजय रथ रोका है.
अयोध्या सीट हार गई बीजेपी- देश की सबसे हॉटसीट मानी जाने वाली अयोध्या सीट बीजेपी हार गई. यहां से सपा के अवैध प्रसाद को विजय मिली. राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह सीट बीजेपी बंपर वोटों के साथ जीतेगी. लेकिन ऐसे सभी दावे इस चुनाव के नतीजों में हवा-हवाई साबित हुए.
स्मृति ईरानी चुनाव हार गई- बीजेपी की फायर ब्रिगेड नेता स्मृति ईरानी इस बार चुनाव हार गई. 2019 में अमेठी से राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी इस बार वो कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा से एक लाख 66 हजार वोटों से चुनाव हार गईं. सियासी जगत में स्मृति ईरानी का हारना बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
ये दिग्गज भी हारे चुनाव
अधीर रंजन चौधरी, बहरमपुर, कांग्रेस
दिनेश लाल यादव, आज़मगढ़, बीजेपी
माधवी लता, हैदराबाद, बीजेपी
मेनका गांधी, सुल्तानपुर, बीजेपी
महबूबा मुफ़्ती, अनंतनाग राजौरी , पीडीपी
कन्हैया कुमार, नार्थ-इस्ट दिल्ली, बीजेपी
दिग्विजय सिंह,राजगढ़, कांग्रेस
उमर अब्दुल्लाह, बारामुला, नेशनल कॉन्फ़्रेंस
अजय राय, वाराणसी, कांग्रेस
हरियाणा विधानसभा चुनाव
इस साल हरियाणा में भी विधानसभा के चुनाव हुए. इस चुनाव के बारे में चर्चा थी कि इस बार कांग्रेस ब़ड़े मार्जिन के साथ सरकार बना रही है. इसके पीछे बीजेपी सरकार की 10 साल की एंटी-इंकम्बेंसी बताया जा रहा था. लेकिन जब परिणाम आए तो सारे के सारे एग्जिट पोल, एक्सपर्ट के बयान धरे के धरे रह गए. हरियाणा में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई और कांग्रेस को एक बार फिर विपक्ष में बैठना पड़ा. बीजेपी ने 90 में 48 सीटे जीतकर सिद्ध कर दिया कि एग्जिट पोल से ज्यादा महत्व जनता में विश्वास रखता है. चुनाव से ठीक पहले सीएम फेस बदलने का बीजेपी का दांव हरियाणा में सार्थक साबित हो गया.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा के चुनाव हुए. ऐसा माना जा रहा था कि इस बार जम्मू-कश्मीर में कमल खिल जाएगा लेकिन केंद्र शासित प्रदेश में नेशनल कॉफ्रेंस सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी. कांग्रेस के सहयोग से उमर अब्दुल्ला सूबे के मुख्यमंत्री बने. सियासत भी गजब चीज है. यही उमर अब्दुल्ला कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में बारामूला से चुनाव हार गए थे. वही आज जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बन गए. आम आदमी पार्टी का एक विधायक पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचा है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार महायुती गठबंधन को फिर से जनता ने एक बार और मौका दिया है. इस बार के चुनावी नतीजों में प्रचंड जीत महायुती को मिली है. 132 सीटों के साथ बीजेपी महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. शिंदे की शिवसेना को 57 और अजीत पवार की एनसीपी को 41 सीटे मिली है. बैठकों के लंबे दौरे के बाद देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र की कमान सौंपी गई. शिंदे और अजीत पवार को नई सरकार में डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी सौंपी गई. वहीं महाविकास अघाड़ी की गाड़ी पटरी से उतर गई. उद्धव गुट को 20, कांग्रेस को 16 तो शरद पवार को 10 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा. बता दें लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को बढ़त मिलने के बाद सियासी खेमें में विधानसभा चुनाव को सुगबुगाहट होने लगी थी कि इस बार महायुती पर महाविकास अघाड़ी भारी पड़ेगी लेकिन चुनाव परिणाम ने इस सभी हवाई-हवाई दावों की हवा निकाल दी.
झारखंड विधानसभा चुनाव
इस आदिवासी राज्य में बीजेपी के जीतने की प्रबल संभावना थी. सारे एग्जिट पोल बीजेपी को जीतते दिखा रहे थे लेकिन जब चुनाव परिणाम महागठबंधन के पक्ष में आए. झारखंड मुक्ति मोर्चा यहां सबसे बड़ी पार्टी बनी. कांग्रेस के साथ मिलकर झामुमो ने सरकार बनाई. झारखंड में बीजेपी का अवैध घुसपैठियों वाला दांव नहीं चल पाया. इतना ही नहीं आदिवासी नेता चंपाई सोरोन के बीजेपी में शामिल होने का भी कोई बड़ा फायदा बीजेपी को नहीं मिल पाया.
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