मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की चार सदस्यीय टीम का सर्वे लगातार चौथे दिन सोमवार को भी जारी रहा. सर्वे के दौरान संभल के प्राचीन नैमिषारण्य तीर्थ में एक और प्राचीन कुआं सामने आया है, जिसमें करीब 20 फुट पर पानी मिला है. इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि पुराने समय में इस कुएं में 20 फुट नीचे ही पानी था, जबकि वर्तमान में संभल में जल स्तर 100 फुट से ज्यादा नीचे है.
अधिकारियों ने बताया कि एएसआई ने शुक्रवार और शनिवार को संभल में छह तीर्थ स्थलों और 19 कुओं का सर्वे किया था. रविवार को चंदौसी तहसील के प्राचीन बावड़ी में खुदाई की, जिसमें प्राचीन बावड़ी मिली. संभल के 19 प्राचीन कुओं और 68 तीर्थों का वर्णन तमाम धर्मग्रंथों में मिलता है.
संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने धर्मग्रंथों में वर्णिंत इन कुओं सहित तमाम प्राचीन कुओं को खोजकर उन्हें पुनर्जीवित कराने की मुहिम चला रखी है. संभल में 46 साल पुराने मंदिर मिलने के बाद जिलाधिकारी ने जांच के लिए एएसआई को पत्र लिखकर जिले के प्राचीन तीर्थस्थलों और कुओं का निरीक्षण कराने की मांग की थी. एएसआई ने भी संभल में कई तीर्थ स्थलों और मंदिरों के साथ ही प्राचीन कुओं का सर्वे पिछले तीन दिन में किया है. संभल में जल स्तर 100 फुट से ज्यादा नीचे है लेकिन तीर्थ परिसरों में मिल रहे कुओं में पहले 20 फुट नीचे ही पानी हुआ करता था.
संभल निवासी 95 वर्षीय मंहत पंडित लाल किशोर शास्त्री ने बताया कि आजादी से पहले संभल में जल स्तर 20 से 25 फुट पर था. जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई, जल स्तर कम होता गया.
संभल के प्राचीन नैमिषारण्य तीर्थ पर जल प्रवाहित कूप मिलने की जानकारी पर तमाम श्रद्धालु कूप के दर्शन के लिए पहुंचे. महंत बाल योगी दीनानाथ ने कूप पर पूजा-अर्चना कर प्रसाद वितरित किया. प्राचीन नैमिषारण्य तीर्थ के महंत बाल दीनानाथ ने कहा कि इस तीर्थ पर बाबा क्षेमनाथ की कृपा से भक्तों का कल्याण होता है.
हिन्दुस्थान समाचार
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