कानपुर: साल 2024 के अब गिनती के दिन बचे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) बड़ी उपलब्धि से एक बार फिर चूक गया. वहीं प्रदेश क्रिकेट संघ ने इससे बुरे दिन अपनी स्थापना से भी नही देखें होंगे जब पदाधिकारियों के बीच ही हाथा-पायी और गाली-गलौज की नौबत आयी हो. यही नहीं कई खिलाड़ियों ने चयन प्रक्रिया पर आरोप लगाए तो घायल महिला खिलाड़ी को टीम में शामिल करने का कारनामा भी इसी साल देखने को मिला.
अगर देखा जाए तो जूनियर स्तर की टीमों के प्रदर्शन को ही थोड़ा सफल माना जाएगा. इस बीते साल में प्रदेश क्रिकेट संघ में एक ट्राफी को छोड़कर केवल बदनामियों का अम्बार ही ट्राफियों के रुप में संघ के कार्यालय में जमा होता गया. इसके अलावा क्रिकेट में कुछ अधिक उपलब्धि संघ की कोई भी टीम नहीं पा सकी, जबकि संघ के भीतर मचे घमासान के चलते कई मामले पुलिस की दहलीज तक अवश्य ही पहुंच गए. यही नहीं जो पुलिस कभी प्रदेश संघ के कार्यालय केवल मैचों के पास लेने के लिए आते जाते रहे, वहीं अब मामलों की जांच के लिए फाइलों को अपने साथ ले जाने के लिए विवश रहे. इसके अलावा साल के जाते–जाते प्रदेश के सितारा खिलाड़ी अंकित राजपूत ने क्रिकेट से सन्यास की घोषणा कर संघ की चयन प्रक्रिया को आईना दिखाने का काम कर डाला.
प्रदेश क्रिकेट संघ अपने पुराने ढर्रे में ही गतिविधियों को अंजाम देने में मशगूल दिखायी दे रहा है. मुख्य प्रशिक्षक की सुनील जोशी की वापसी पर लाखों रुपए खर्च करने वाले संघ की सीनियर टीम भी किसी प्रकार की चैम्पियन बनने के आसपास नहीं पहुंच सकी.
यूपीसीए के सूत्र बतातें हैं कि सुनील जोशी पर संघ के आलाअधिकारी के साथ ही कई सदस्यों की मेहरबानी के चलते उन्हे दोबारा टीम से जोड़ा गया है. हालांकि क्रिकेट में बुरी दशा संघ के लिए कोई नई बात नहीं है, कई सालों से ऐसा होता चला आ रहा है. अब तो क्रिकेट की कमान भी ऐसे लोगों के हाथ में दे दी गयी है जिन पर वर्तमान पदाधिकारियों ने भ्रष्टाचार का आरोप लगवाकर हटवा दिया था. अगर 2021 के अपवाद को छोड़ दिया जाए जिसमें यूपी की टीम विजय हजारे एक दिवसीय क्रिकेट प्रतियोगिता में मुम्बई से खिताबी मुकाबले में पराजित हो गयी थी लेकिन इस बार टीम वहां तक भी नहीं पहुंच सकी और बदनामी अलग मोल ले ली. इस बार संघ के भीतर मचा घमासान छीछालेदर तक पहुंच चुका है जो इससे पहले शायद ही कभी पहुंचा हो. अब तो इस बार महिला क्रिकेट से जुड़ी पदाधिकारी और कर्मचारी भी एक दूसरे के कपड़े फाड़ने पर उतारु हो गयीं जो क्रिकेट जगत में संघ की बदनामी के लिए विशेष तौर पर पहचाना गया.
साल का सबसे अधिक रोमाचंक किस्सा संघ के पूर्व सचिव और वर्तमान सचिव के बीच लखनऊ में विवाद रहा. जहां दोनों ने एक दूसरे को मां बहन तक सेंक डाली. सुपर एजेन्टों की पोल भी खुलकर देखने को मिली जिससे यह भी साबित हो गया कि खिलाड़ियों की चयन प्रक्रिया में कई सालों से धांधली बरकरार है. यही नहीं संघ के भीतर चल रहे घमासान में दो पूर्व सचिवों के वरदहस्त सुपर सेलक्टर और उनके एजेन्ट भी प्रभावी ढंग से कार्य करते रहे, जिसका खामियाजा टीम में बेहतरीन खिलाड़ियों की आमद न के बराबर रही. दिल्ली और हरियाणा और उससे सटे प्रान्तों से क्रिकेटरों का आयातित किया जाना भी ये साल यूपीसीए के लिए खासा पहचाने जाने वाला साल साबित हो गया. हांलाकि अभी भी कुछ मामले कहीं पुलिस तो कहीं राजभवन के साथ ही न्यायालय के दरवाजों पर खड़े हैं, जो वक्त का इन्तजार कर रहें हैं. क्रिकेट जगत के लोग यह आशा जता रहे हैं कि साल 2025 यूपीसीए के साथ ही प्रदेश के क्रिकेटरों के लिए आशा से भरा साल हो और संघ की पुरानी छवि एक बार फिर से लौट आए.
हिन्दुस्थान समाचार
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