राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चुनावी बिगुल बज चुका है. मंगलवार को चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव की डेट अनाउंस कर दी हैं. 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होने जा रही है. वहीं 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे. दिल्ली में इस बार कुल 1 करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 वोटर हैं. चुनाव आयोग के अनुसार, इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 83,49,645 जबकि महिला वोटर्स की संख्या 71,73,952 है. वहीं, थर्ड जेंडर की संख्या 1,261 है. दिल्ली में 2020 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 7.26 लाख और 2024 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 3.10 लाख वोटर्स बढ़ गए हैं.
देश की राजधानी दिल्ली, भारत का दिल कही जाती है. दिल्ली को देशवासियों की धड़कन माना जाता है. विश्व भर में दिल्ली अपनी एक पहचान रखती है. महाभारत काल से लेकर दिल्ली सल्तनत, मुगल काल और अंग्रेजी सत्ता तक दिल्ली कई बार उजड़ी और बसी लेकिन दिल्ली ही भारत के सत्ता का केंद्र बनी रही. यही कारण है कि दिल्ली को हर कोई जानता है और हर किसी की इच्छा होती है कि जीवन में एक बार दिल्ली का भ्रमण जरूर किया जाए.
उसी दिल्ली में अब विधानसभा चुनाव 2025 होने जा रहा है. दिल्ली की सियासी पिच पर अब तमाम राजनीति के धुरंधर बल्लेबाजी करने को आतुर हैं. यहां तीन राष्ट्रीय पार्टियों के बीच महामुकाबला होने जा रहा है. एक और जहां राष्ट्रीय पार्टी बनकर पहली बार चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी सत्ता की हैट्रिक लगाना चाहती है तो वहीं बीजेपी को भरोसा है कि वो 27 साल का वनवास खत्म कर दिल्ली में सरकार बनाएगी. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस चुनाव में अपनी खोई हुई सियासी जमीन तलाशने के लिए पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में है.
दिल्ली का सियासी इतिहास
- दिल्ली में पहली बार साल 1952 में विधानसभा का गठन हुआ.
- उस समय दिल्ली में अंतरिम विधानसभा की व्यवस्था लागू थी.
- चुनाव के बाद चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बने.
- ब्रह्म प्रकाश के इस्तीफे के बाद 1955 में गुरूमुख निहाल सिंह को सीएम बनाया गया.
- 1956 के राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को विधानसभा भंग हो गई.
- 1966 में दिल्ली मेट्रोपॉलिटन काउंसिल अस्तित्व में आ गया.
- 1991 में 69वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत दिल्ली को फिर विधानसभा मिली.
- 1993 में दिल्ली विधानसभा का गठन हुआ और पहली बार चुनाव हुए.
- पहले विधानसभा चुनाव 1993 में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली.
- बीजेपी ने मदन लाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने.
- मदन लाल खुराना को घोटाले के आरोपों के बीच कुर्सी छोड़नी पड़ी.
- मदनलाल खुराना के बाद साहिब सिंह वर्मा को सीएम बनाया गया.
- महंगाई के मुद्दे पर उनका भी विरोध हुआ और उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा.
- इसके बाद बीजेपी ने सुषमा स्वराज को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया.
- 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी से सत्ता छीन ली.
- शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक दिल्ली की सबसे ज्यादा समय तक सीएम रहीं.
- 2013 में नई नवेली आम आदमी पार्टी ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा.
- बीजेपी इस चुनाव में 32 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से वंचित रही.
- आम आदमी पार्टी को 28 सीटों पर तो कांग्रेस को 8 सीटों पर विजय मिली.
- आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया. केजरीवाल पहली बार दिल्ली के सीएम बने.
- लेकिन यह सरकार 49 दिन ही चल सकी और केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.
- इसके बाद दिल्ली में 2014 से 2015 तक एक साल के लिए राष्ट्रपति शासन लग गया.
- 2015 में जब चुनाव हुए तो AAP ने 67 सीटों पर जीत ली, केजरीवाल दूसरी बार सीएम बने.
- 2020 में भी AAP ने 62 सीटें जीतकर सरकार बनाई, केजरीवाल ने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली.
इस बार का चुनाव इसलिए खास है क्योंकि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया सहित आम आदमी पार्टी के तमाम नेता शराब घोटाले के आरोप में जेल जा चुके है और अभी जमानत पर बाहर है. बीजेपी इस चुनाव में आप पर भ्रष्टाचार करने और दिल्ली को बर्बाद करने का आरोप लगा रही तो वहीं आप, बीजेपी पर जबरन झूठे आरोपों में फंसाने और जांच एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप लगा रही है. वहीं कांग्रेस फिर से शीला दीक्षित वाली दिल्ली बनाने का वादा करके लोगों के बीच जा रही है.
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